Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अनासिर पर शेर

ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब

मौत क्या है इन्हीं अज्ज़ा का परेशाँ होना

व्याख्या

चकबस्त का ये शे’र बहुत मशहूर है। ग़ालिब ने क्या ख़ूब कहा था;

हो गए मुज़्महिल क़ुवा ग़ालिब

अब अनासिर में एतिदाल कहाँ

मानव शरीर की रचना कुछ तत्वों से होती है। दार्शनिकों की दृष्टि में वो तत्व अग्नि, वायु, मिट्टी और जल हैं। इन तत्वों में जब भ्रम पैदा होता है तो मानव शरीर अपना संतुलन खो देता है। अर्थात ग़ालिब की भाषा में जब तत्वों में संतुलन नहीं रहता तो इंद्रियाँ अर्थात विभिन्न शक्तियां कमज़ोर होजाती हैं। चकबस्त इसी तथ्य की तरफ़ इशारा करते हैं कि जब तक मानव शरीर में तत्व क्रम में हैं मनुष्य जीवित रहता है। और जब ये तत्व परेशान हो जाते हैं अर्थात उनमें संतुलन और सामंजस्य नहीं रहता है तो मृत्यु होजाती है।

शफ़क़ सुपुरी

चकबस्त ब्रिज नारायण

कौन तहलील हुआ है मुझ में

मुंतशिर क्यूँ हैं अनासिर मेरे

विकास शर्मा राज़

मैं रात सुस्त अनासिर से तंग गया था

मिरी हयात-ए-फ़सुर्दा में रंग गया था

ओसामा ज़ाकिर

मुज़्महिल हो गए क़वा ग़ालिब

वो अनासिर में ए'तिदाल कहाँ

मिर्ज़ा ग़ालिब

हैं अनासिर की ये सूरत-बाज़ियाँ

शो'बदे क्या क्या हैं उन चारों के बीच

मीर तक़ी मीर

मौत की एक अलामत है अगर देखा जाए

रूह का चार अनासिर पे सवारी करना

ख़ुर्शीद रिज़वी

अनासिर की कोई तरतीब क़ाएम रह नहीं सकती

तग़य्युर ग़ैर-फ़ानी है तग़य्युर जावेदानी है

मतीन नियाज़ी

एक हस्ती मिरी अनासिर चार

हर तरफ़ से घिरी सी रहती है

ग़ुलाम मुर्तज़ा राही

हर रूह पस-ए-पर्दा-ए-तरतीब-ए-अनासिर

ना-कर्दा गुनाहों की सज़ा काट रही है

जमुना प्रसाद राही

अब अनासिर में तवाज़ुन ढूँडने जाएँ कहाँ

हम जिसे हमराज़ समझे पासबाँ निकला तिरा

अमीन राहत चुग़ताई

इख़्तिलात अपने अनासिर में नहीं

जो है मेरे जिस्म में बेगाना है

मुनीर शिकोहाबादी

ज़मीं नई थी अनासिर की ख़ू बदलती थी

हवा से पहले जज़ीरे पे धूप चलती थी

बिलाल अहमद

अनासिर की घनी ज़ंजीर है

सो ये हस्ती की इक ताबीर है

ख़ालिद मुबश्शिर

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए