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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

रहबर पर शेर

सफ़र में रहबर का किरदार

हमेशा मशकूक रहा है। क़ाफ़िले के लुटने के पीछे रहबर की दग़ाबाज़ियाँ तसव्वुर की गई हैं। शायरों ने इस मज़मून को एक वसी-तर इस्तिआराती सतह पर बरता है और नए नए पहलू तलाश किए हैं। ये शायरी नई हैरतों के साथ नए हौसले पैदा करती है। एक इंतिख़ाब हाज़िर है।

निगह बुलंद सुख़न दिल-नवाज़ जाँ पुर-सोज़

यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए

अल्लामा इक़बाल

मुझे रहनुमा अब छोड़ तन्हा

मैं ख़ुद को आज़माना चाहता हूँ

हैरत गोंडवी

दिल की राहें जुदा हैं दुनिया से

कोई भी राहबर नहीं होता

फ़रहत कानपुरी

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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