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इक़बाल डे पर शेर

अल्लामा इक़बाल के जन्मदिन

के अवसर पर उनके साहित्यिक कार्यों का अध्ययन करें

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले

ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

अल्लामा इक़बाल

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं

तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

अल्लामा इक़बाल

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

अल्लामा इक़बाल

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

अल्लामा इक़बाल

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा

तिरे सामने आसमाँ और भी हैं

अल्लामा इक़बाल

फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का

हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है

अल्लामा इक़बाल

ताइर-ए-लाहूती उस रिज़्क़ से मौत अच्छी

जिस रिज़्क़ से आती हो परवाज़ में कोताही

अल्लामा इक़बाल

अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है

शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात

अल्लामा इक़बाल

अक़्ल अय्यार है सौ भेस बदल लेती है

इश्क़ बेचारा ज़ाहिद है मुल्ला हकीम

अल्लामा इक़बाल

फूल की पत्ती से कट सकता है हीरे का जिगर

मर्द-ए-नादाँ पर कलाम-ए-नर्म-ओ-नाज़ुक बे-असर

अल्लामा इक़बाल

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