हमारे शहर के लोगों का अब अहवाल इतना है
कभी अख़बार पढ़ लेना कभी अख़बार हो जाना
हम तो रात का मतलब समझें ख़्वाब, सितारे, चाँद, चराग़
आगे का अहवाल वो जाने जिस ने रात गुज़ारी हो
अर्ज़-ए-अहवाल को गिला समझे
क्या कहा मैं ने आप क्या समझे
न मुझ को कहने की ताक़त कहूँ तो क्या अहवाल
न उस को सुनने की फ़ुर्सत कहूँ तो किस से कहूँ
हाल हमारा पूछने वाले
क्या बतलाएँ सब अच्छा है
'ग़ालिब' तिरा अहवाल सुना देंगे हम उन को
वो सुन के बुला लें ये इजारा नहीं करते
अहवाल क्या बयाँ मैं करूँ हाए ऐ तबीब
है दर्द उस जगह कि जहाँ का नहीं इलाज
अहवाल देख कर मिरी चश्म-ए-पुर-आब का
दरिया से आज टूट गया दिल हबाब का
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टैग : गिर्या-ओ-ज़ारी
होश उड़ जाएँगे ऐ ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ तेरे
गर मैं अहवाल लिखा अपनी परेशानी का
तू ने क्या देखा नहीं गुल का परेशाँ अहवाल
ग़ुंचा क्यूँ ऐंठा हुआ रहता है ज़रदार की तरह