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पाकिस्तान की नई पीढ़ी के मशहूर शायर, ‘मैं किसी दास्तान से उभरूँगा’ इनके काव्य संग्रह का नाम है

पाकिस्तान की नई पीढ़ी के मशहूर शायर, ‘मैं किसी दास्तान से उभरूँगा’ इनके काव्य संग्रह का नाम है

अज़हर फ़राग़

ग़ज़ल 20

नज़्म 1

 

अशआर 48

जब तक माथा चूम के रुख़्सत करने वाली ज़िंदा थी

दरवाज़े के बाहर तक भी मुँह में लुक़्मा होता था

दफ़्तर से मिल नहीं रही छुट्टी वगर्ना मैं

बारिश की एक बूँद बे-कार जाने दूँ

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दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था

तालों की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था

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तेरी शर्तों पे ही करना है अगर तुझ को क़ुबूल

ये सुहुलत तो मुझे सारा जहाँ देता है

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ख़तों को खोलती दीमक का शुक्रिया वर्ना

तड़प रही थी लिफ़ाफ़ों में बे-ज़बानी पड़ी

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क़ितआ 1

 

पुस्तकें 1

 

चित्र शायरी 1

 

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अज़हर फ़राग़

दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था

अज़हर फ़राग़

दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता था

अज़हर फ़राग़

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