Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

नज़ाकत पर शेर

नज़ाकत महबूब की एक अहम

सिफ़त है। शाइरों ने महबूब की इस सिफ़त का बयान मुबालिग़ा आमेज़ अंदाज़ में किया है और अपने तख़य्युल की ज़रख़ेज़ी का सुबूत दिया है। नज़ाकत से महबूब के हुस्न का हद दर्जा इज़हार भी मक़सूद होता है, हमारा ये इन्तिख़ाब महबूब की नज़ाकत के हवाले से आपके तमाम तसव्वुरात को तोड़ देगा। आप उसे पढ़िए और महबूब की एक नई तस्वीर मुलाहज़ा कीजिए।

आप की नाज़ुक कमर पर बोझ पड़ता है बहुत

बढ़ चले हैं हद से गेसू कुछ इन्हें कम कीजिए

हैदर अली आतिश

अल्लाह-रे उस गुल की कलाई की नज़ाकत

बल खा गई जब बोझ पड़ा रंग-ए-हिना का

अमीर मीनाई

अल्लाह-रे नाज़ुकी कि जवाब-ए-सलाम में

हाथ उस का उठ के रह गया मेहंदी के बोझ से

रियाज़ ख़ैराबादी

अबरू सँवारा करो कट जाएगी उँगली

नादान हो तलवार से खेला नहीं करते

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

मोहब्बत फूल बनने पर लगी थी

पलट कर फिर कली कर ली है मैं ने

फ़रहत एहसास

ख़्वाब में आँखें जो तलवों से मलीं

बोले उफ़ उफ़ पाँव मेरा छिल गया

अमीर मीनाई

नज़ाकत उस गुल-ए-राना की देखियो 'इंशा'

नसीम-ए-सुब्ह जो छू जाए रंग हो मैला

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए