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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Insha Allah Khan Insha's Photo'

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

1752 - 1817 | दिल्ली, भारत

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी

इंशा अल्लाह ख़ान इंशा

ग़ज़ल 89

अशआर 48

अजीब लुत्फ़ कुछ आपस की छेड़-छाड़ में है

कहाँ मिलाप में वो बात जो बिगाड़ में है

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जज़्बा-ए-इश्क़ सलामत है तो इंशा-अल्लाह

कच्चे धागे से चले आएँगे सरकार बंधे

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कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

बहुत आगे गए बाक़ी जो हैं तय्यार बैठे हैं

पहुँचूँ मैं किस की कोहना हक़ीक़त को आज तक

'इंशा' मुझे मिला नहीं अपना ही कुछ सुराग़

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क्या हँसी आती है मुझ को हज़रत-ए-इंसान पर

फ़े'ल-ए-बद ख़ुद ही करें ला'नत करें शैतान पर

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क़िस्सा 3

 

रेख़्ती 7

पुस्तकें 41

ऑडियो 9

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

गाली सही अदा सही चीन-ए-जबीं सही

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