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वफ़ा पर चित्र/छाया शायरी

वफ़ा पर शायरी भी ज़्यादा-तर

बेवफ़ाई की ही सूरतों को मौज़ू बनाती है। वफ़ादार आशिक़ के अलावा और है कौन। और ये वफ़ादार किरदार हर तरफ़ से बे-वफ़ाई का निशाना बनता है। ये शायरी हमको वफ़ादारी की तर्ग़ीब भी देती है और बेवफ़ाई के दुख झेलने वालों के ज़ख़्मी एहसासात से वाक़िफ़ भी कराती है।

अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की

वफ़ाओं के बदले जफ़ा कर रहे हैं

उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो

अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की

उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो

इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम

इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम

ये वफ़ा की सख़्त राहें ये तुम्हारे पाँव नाज़ुक

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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