ठीक है ख़ुद को हम बदलते हैं
शुक्रिया मश्वरत का चलते हैं
शुक्रिया तेरा तिरे आने से रौनक़ तो बढ़ी
वर्ना ये महफ़िल-ए-जज़्बात अधूरी रहती
कल जो था वो आज नहीं जो आज है कल मिट जाएगा
रूखी-सूखी जो मिल जाए शुक्र करो तो बेहतर है
ख़ुदा का शुक्र कि आहट से ख़्वाब टूट गया
मैं अपने इश्क़ में नाकाम होने वाला था