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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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धर्म पर उद्धरण

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लीडर जब आँसू बहा कर लोगों से कहते हैं कि मज़हब ख़तरे में है तो इसमें कोई हक़ीक़त नहीं होती। मज़हब ऐसी चीज़ ही नहीं कि ख़तरे में पड़ सके, अगर किसी बात का ख़तरा है तो वो लीडरों का है जो अपना उल्लू सीधा करने के लिए मज़हब को ख़तरे में डालते हैं।

सआदत हसन मंटो
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पहले मज़हब सीनों में होता था आजकल टोपियों में होता है। सियासत भी अब टोपियों में चली आई है। ज़िंदाबाद टोपियाँ।

सआदत हसन मंटो
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हिन्दुस्तान को उन लीडरों से बचाओ जो मुल्क की फ़िज़ा बिगाड़ रहे हैं और अवाम को गुमराह कर रहे हैं।

सआदत हसन मंटो
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अगर हम साबुन और लैविन्डर का ज़िक्र कर सकते हैं तो उन मौर्यों और बदरुओं का ज़िक्र क्यों नहीं कर सकते जो हमारे बदन का मैल पीती हैं। अगर हम मंदिरों और मस्जिदों का ज़िक्र कर सकते हैं तो उन क़हबा-ख़ानों का ज़िक्र क्यों नहीं कर सकते जहाँ से लौट कर कई इन्सान मंदिरों और मस्जिदों का रुख़ करते हैं... अगर हम अफ़्यून, चरस, भंग और शराब के ठेकों का ज़िक्र कर सकते हैं तो उन कोठों का ज़िक्र क्यों नहीं कर सकते जहाँ हर क़िस्म का नशा इस्तिमाल किया जाता है।

सआदत हसन मंटो
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जो मुल़्क जितना ग़ुर्बत-ज़दा होगा उतना ही आलू और मज़हब का चलन ज़्यादा होगा।

मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
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ये लोग जिन्हें उर्फ़-ए-आम में लीडर कहा जाता है, सियासत और मज़हब को लंगड़ा, लूला और ज़ख़्मी आदमी तसव्वुर करते हैं।

सआदत हसन मंटो
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मज़हब ख़ुद एक बहुत बड़ा मस्अला है, अगर इस में लपेट कर किसी और मस्अले को देखा जाए तो हमें बहुत ही मग़्ज़-दर्दी करनी पड़ेगी।

सआदत हसन मंटो
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सियासत और मज़हब की लाश हमारे नामवर लीडर अपने कँधों पर उठाए फिरते हैं और सीधे सादे लोगों को जो हर बात मान लेने के आदी होते हैं ये कहते फिरते हैं कि वो इस लाश को अज़ सर-ए-नौ ज़िंदगी बख़्श रहे हैं।

सआदत हसन मंटो
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मेज़ाह, मज़हब और अल्कोह्ल हर चीज़ में ब-आसानी मिल जाते हैं।

मुश्ताक़ अहमद यूसुफ़ी
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रूहानियत यक़ीनन कोई चीज़ है, आज के साईंस के ज़माने में जिसमें एटम बम तैयार किया जा सकता है और जरासीम फैलाए जा सकते हैं, ये चीज़ बाअज़ अस्हाब के नज़दीक मुहमल हो सकती है लेकिन वो लोग जो नमाज़ और रोज़े, आरती और कीर्तन से रुहानी तहारत हासिल करते हैं हम उन्हें पागल नहीं कह सकते। और मैं समझता हूँ कि बद-किरदारों, क़ातिलों और सफ़्फ़ाकों की नजात का रास्ता सिर्फ़ रुहानी तालीम है, मुल्लाई तरीक़ पर नहीं, तरक़्क़ी-पसंद उसूलों पर।

सआदत हसन मंटो

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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