प्रसिद्ध मिसरे पर चित्र/छाया शायरी
ऐसे अशआर भी कसीर तादाद
में हैं जिनका एक ही मिस्रा इतना मशहूर हुआ कि ज़्यादा-तर लोग दूसरे मिसरे से वाक़िफ़ ही नहीं होते। “पहुँची वहीं पे ख़ाक-ए-जहाँ का ख़मीर था” ये मिस्रा सबको याद होगा लेकिन मुकम्मल शेर कम लोग जानते हैं। हमने ऐसे मिस्रों को मुकम्मल शेर की सूरत में जमा किया है। हमें उम्मीद है हमारा ये इंतिख़ाब आपको पसंद आएगा।
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