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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

परेशानी पर शेर

मैं ने जब ख़ुद की तरफ़ ग़ौर से देखा तो खुला

मुझ को इक मेरे सिवा कोई परेशानी नहीं

अभिषेक शुक्ला

बड़े बा-वफ़ा थे मिरे यार सब

मुसीबत में जब तक पुकारा था

सदा अम्बालवी

कहीं कोई कमाँ ताने हुए है

कबूतर आड़े-तिरछे उड़ रहे हैं

फ़हमी बदायूनी

बस हुक्म मिला और निकल आए वहाँ से

चलते हुए उजलत में ही सामान लिया है

अफ़ज़ल गौहर राव

मनहूस एक शक्ल है जिस से नहीं फ़रार

परछाईं की तरह से बराबर लगी हुई

जमाल एहसानी

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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