जमाल एहसानी
ग़ज़ल 104
अशआर 66
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है
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उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहीं
भीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
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तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
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क़रार दिल को सदा जिस के नाम से आया
वो आया भी तो किसी और काम से आया
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'जमाल' हर शहर से है प्यारा वो शहर मुझ को
जहाँ से देखा था पहली बार आसमान मैं ने
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क़ितआ 1
चित्र शायरी 12
वीडियो 21
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