कुछ मधुर तानें फ़ज़ा में थरथरा कर रह गईं
धान के खेतों में चंचल पंछियों का शोर था
मौसम ने खेत-खेत उगाई है फ़स्ल-ए-ज़र्द
सरसों के खेत हैं के जो पीले नहीं रहे
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
कुछ मधुर तानें फ़ज़ा में थरथरा कर रह गईं
धान के खेतों में चंचल पंछियों का शोर था
मौसम ने खेत-खेत उगाई है फ़स्ल-ए-ज़र्द
सरसों के खेत हैं के जो पीले नहीं रहे
Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi
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