दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में
इक आईना था टूट गया देख-भाल में
ज़िंदगी की बिसात पर 'बाक़ी'
मौत की एक चाल हैं हम लोग
ये काएनात मिरे सामने है मिस्ल-ए-बिसात
कहीं जुनूँ में उलट दूँ न इस जहान को मैं
लगी थी जान की बाज़ी बिसात उलट डाली
ये खेल भी हमें यारों ने हारने न दिया