ख़ुद-कुशी क़त्ल-ए-अना तर्क-ए-तमन्ना बैराग
ज़िंदगी तेरे नज़र आने लगे हल कितने
पी के बैराग की उदासी सूँ
दिल पे मेरे सदा उदासी है
बताऊँ किस हवाले से उन्हें बैराग का मतलब
जो तारे पूछते हैं रात को घर क्यूँ नहीं जाता
नय्या बाँधो नदी किनारे सखी
चाँद बैराग रात त्याग लगे
जिस कूँ पिव के हिज्र का बैराग है
आह का मज्लिस में उस की राग है
मीठे पानी की नद्दी क्यूँ बहे समुंदर ओर
जिस के मन में प्यार का धन हो क्यूँ ले वो बैराग
'माजिद' ने बैराग लिया है कोई ऐसी बात नहीं
इधर उधर की बातें कर के लोगों को समझाया कर
उस की बालक-हट के आगे घर छोड़ा बैराग लिया
देखें क्या दिन दिखलाता है अब ये मूरख मन बाबा