Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

आशोब पर शेर

एक मैं हूँ कि इस आशोब-ए-नवा में चुप हूँ

वर्ना दुनिया मिरे ज़ख़्मों की ज़बाँ बोलती है

इरफ़ान सिद्दीक़ी

सब उम्मीदें मिरे आशोब-ए-तमन्ना तक थीं

बस्तियाँ हो गईं ग़र्क़ाब तो दरिया उतरा

हसन आबिदी

क्या रात के आशोब में वो ख़ुद से लड़ा था

आईने के चेहरे पे ख़राशें सी पड़ी हैं

आफ़ताब इक़बाल शमीम

बनी हैं शहर-आशोब-ए-तमन्ना

ख़ुमार-आलूदा आँखें रात-भर की

मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए