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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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आँसू पर चित्र/छाया शायरी

आँसू पानी के सहज़ चंद

क़तरे नहीं होते जिन्हें कहीं भी टपक पड़ने का शौक़ होता है बल्कि जज़्बात की शिद्दत का आईना होते हैं जिन्हें ग़म और ख़ुशी दोनों मौसमों में संवरने की आदत है। किस तरह इश्क आंसुओं को ज़ब्त करना सिखाता है और कब बेबसी सारे पुश्ते तोड़ कर उमड आती है आईए जानने की कोशिश करते हैं आँसू शायरी के हवाले सेः

पलकों की हद को तोड़ के दामन पे आ गिरा

रोने वाले तुझे रोने का सलीक़ा ही नहीं

थमे आँसू तो फिर तुम शौक़ से घर को चले जाना

एक आँसू ने डुबोया मुझ को उन की बज़्म में

क्या कहूँ किस तरह से जीता हूँ

एक आँसू ने डुबोया मुझ को उन की बज़्म में

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