aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1970 | मुंबई, भारत
जो लोग गुज़रते हैं मुसलसल रह-ए-दिल से
दिन ईद का उन को हो मुबारक तह-ए-दिल से
राहों में जान घर में चराग़ों से शान है
दीपावली से आज ज़मीन आसमान है
देखता हूँ तू नहीं रहम के क़ाबिल कोई
सोचता हूँ तो हज़ारों तरस आता है
नज़ाकत है बहुत इस में मगर ये जानता हूँ मैं
मोहब्बत जिस को हो जाती है उर्दू सीख जाता है
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003
जो लोग गुज़रते हैं मुसलसल रह-ए-दिल से दिन ईद का उन को हो मुबारक तह-ए-दिल से
राहों में जान घर में चराग़ों से शान है दीपावली से आज ज़मीन आसमान है
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