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क्लासिकी शायर

1847 -1885 दिल्ली

उत्तर-क्लासिकी शायर, ज़ौक़ और ग़ालिब के शिष्य अपने सर्वाधिक लोकप्रिय शेरों के लिए प्रसिद्ध

क्लासिकी शैली और पैटर्न के प्रतिष्ठित शायर,अपनी किताब "सुख़न-ए-शोरा" के लिए मशहूर

1769 -1851 दिल्ली

मुग़ल बादशाह शाह आलम सानी के उस्ताद, मीर तक़ी मीर के बाद के शायरों के समकालीन

अहम क्लासिकी शायर, उर्दू शायरी के आरंभिक दौर के शायरों में शामिल, आबरू के शागिर्द

1815 -1858 लखनऊ

अपने नाटक 'इन्द्र सभा' के लिए प्रसिद्ध, अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के समकालीन

1253 -1325 दिल्ली

उर्दू / हिंदवी के पहले शायर। मशहूर सूफ़ी हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के शागिर्द और संगीतज्ञ। तबला और सितार जैसे साज़ों का अविष्कार किया। अपनी ' पहेलियों ' के लिए प्रसिद्ध जो भारतीय लोक साहित्य का हिस्सा हैं। ' ज़े हाल-ए-मिस्कीं मकुन तग़ाफ़ुल ' जैसी ग़ज़ल लिखी जो उर्दू / हिंदवी शायरी का पहला नमूना है।

दाग़ देहलवी के समकालीन। अपनी ग़ज़ल ' सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता ' के लिए प्रसिद्ध हैं।

1725/6 -1772 दिल्ली

18 वीं सदी के प्रमुख शायरों में शामिल / मीर तक़ी मीर के समकालीन

1857/58 -1914

हैदराबाद दकन के पुरगो और क़ादिरुलकलाम शायर, जिन्होंने सख़्त और मुश्किल ज़मीनों में शायरी की, रुबाई कहने के लिए भी मशहूर

1812 -1887

लखनऊ के अहम क्लासिकी शायर, आतिश के शागिर्द, लखनऊ पर लिखी अपनी लम्बी मसनवी ‘अफ़साना-ए-लखनऊ’ के लिए मशहूर

1728 -1806 दिल्ली

मुग़ल बादशाह जिन्होंने लाल क़िले और अपने दरबार में उर्दू शायरी का सिलसिला शुरू किया

1685 -1733 दिल्ली

उर्दू शायरी के निर्माताओं में से एक। मीर तक़ी मीर के समकालीन

1727 -1755 दिल्ली

मीर तक़ी ' मीर ' के समकालीन और उनके प्रतिद्वंदी के तौर पर प्रसिद्ध। उन्हे उनके पिता ने क़त्ल किया।

1772 -1838 लखनऊ

लखनऊ के मुम्ताज़ और नई राह बनाने वाले शायर/मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन

1752 -1817 दिल्ली

लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी

हैदराबाद से सम्बन्ध रखनेवाले क्लासिकी मिज़ाज के शायर, अपनी रुबाइयों के लिए भी जाने जाते हैं

1829 -1861

क्लासिकी दौर के यूरोपी मूल के शायर जिनके पिता ने भारतीय जीवनशैली अपना ली थी. ग़ज़लों और दूसरी विधाओं पर आधारित एक दीवान भी प्रकाशित हुआ

1824 -1880 दिल्ली

क्लासीकी लब-ओ-लहजे के शायर, मोमिन की मृत्यु के बाद ग़ालिब के शागिर्द हुए

1721 -1785 दिल्ली

सूफ़ी शायर, मीर तक़ी मीर के समकालीन। भारतीय संगीत के गहरे ज्ञान के लिए प्रसिध्द

1679 -1756 दिल्ली

भाषाविद्, मीर तक़ी मीर और मीर दर्द के उस्ताद

1753 -1851

प्रतिष्ठित सूफी शायर जिनसे मिर्ज़ा ग़ालिब को श्रद्धा थी

1784 -1850 लखनऊ

नासिख़ के शिष्य, मराठा शासक यशवंत राव होलकर और अवध के नवाब ग़ाज़ी हैदर की सेना के सदस्य

1817 -1852 दिल्ली

अहम क्लासिकी शायर, ग़ालिब की बीवी के भांजे, जिन्हें ग़ालिब ने अपने सात बच्चों के असमय निधन के बाद बेटा बना लिया था. ग़ालिब आरिफ़ की शायरी के प्रशंसकों में भी शामिल थे

1734 -1792 लखनऊ

मीर तक़ी मीर के समकालीन, अपनी इश्क़िया शायरी के लिए मशहूर

1737 -1801

मीर के समकालीन, अज़ीमाबाद स्कूल के प्रतिष्ठित शायर, दिल्ली स्कूल के रंग में शायरी के लिए मशहूर

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