नसीम सहर
ग़ज़ल 13
नज़्म 1
अशआर 9
दिये अब शहर में रौशन नहीं हैं
हवा की हुक्मरानी हो गई क्या
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
आवाज़ों की भीड़ में इतने शोर-शराबे में
अपनी भी इक राय रखना कितना मुश्किल है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कभी तो सर्द लगा दोपहर का सूरज भी
कभी बदन के लिए इक किरन ज़ियादा हुई
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ब-नाम-ए-अम्न-ओ-अमाँ कौन मारा जाएगा
न जाने आज यहाँ कौन मारा जाएगा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
लफ़्ज़ भी जिस अहद में खो बैठे अपना ए'तिबार
ख़ामुशी को इस में कितना मो'तबर मैं ने किया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए