aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1803 - 1874 | लखनऊ, भारत
लखनऊ के अग्रगी क्लासिकी शायरों में विख्यात/मर्सिया के महान शायर
आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान कर
देते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर
अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से सँभाले न गए
ये वो बच्चे हैं जो माँ बाप से पाले न गए
'अनीस' दम का भरोसा नहीं ठहर जाओ
चराग़ ले के कहाँ सामने हवा के चले
तमाम उम्र जो की हम से बे-रुख़ी सब ने
कफ़न में हम भी अज़ीज़ों से मुँह छुपा के चले
'अनीस' आसाँ नहीं आबाद करना घर मोहब्बत का
ये उन का काम है जो ज़िंदगी बर्बाद करते हैं
Aalami Meer Anees Seminar
Majmua-e-Maqalat
2004
Anees
Sawaneh
अनीस
सवानेह
2005
Anees Ke 33 Ghair Matbua Marsiye
1990
Anees Ke Marsiye
Part - 002
Part - 001
Volume-001
Volume-002
1980
Part-003
Anees Ke Salam
1981
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