Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Khan Rizwan's Photo'

ख़ान रिज़वान

1982 | दिल्ली, भारत

नई पीढ़ी के शायर

नई पीढ़ी के शायर

ख़ान रिज़वान

ग़ज़ल 24

नज़्म 1

 

अशआर 8

ये ख़द्द-ओ-ख़ाल ये गेसू ये सूरत-ए-ज़ेबा

सभी का हुस्न है अपनी जगह मगर आँखें

कौन गुज़रा है ये आँधियों की तरह

शम्अ-ए-राह-ए-वफ़ा को बुझाते हुए

की है सरगोशी सर-ए-शाम मिरे दिल ने फिर

इस लिए हम ने लपेटा नहीं बिस्तर अपना

तर्क-ए-तअल्लुक़ात में महजूर तो हुए

लेकिन ख़याल-ओ-ख़्वाब में वो रू-ब-रू रहे

  • शेयर कीजिए

हम तो अपने क़द के बराबर भी हुए

लोग जाने कैसे ख़ुदा हो जाते हैं

लेख 3

 

पुस्तकें 6

 

वीडियो 7

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
असीर-ए-दर्द हो कर जी रहा हूँ

ख़ान रिज़वान

कभी मुझे कभी ख़ुद को भुला के देखता है

ख़ान रिज़वान

कोई दुआ है या फिर बद-दुआ है मेरे लिए

ख़ान रिज़वान

ज़िंदगी आई मुझ को रास अभी

ख़ान रिज़वान

ठहरना भूल गई हैं लहू से तर आँखें

ख़ान रिज़वान

नींद की सौदागरी करता हूँ मैं

ख़ान रिज़वान

हिसार-ए-ग़म से जो निकले भी तो किधर आए

ख़ान रिज़वान

संबंधित शायर

"दिल्ली" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए