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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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इस समय कोई नहीं मेरी निगहबानी पर

जमाल एहसानी

इस समय कोई नहीं मेरी निगहबानी पर

जमाल एहसानी

MORE BYजमाल एहसानी

    इस समय कोई नहीं मेरी निगहबानी पर

    ये घड़ी सख़्त कड़ी है तिरे ज़िंदानी पर

    बा-ख़बर कर के रह-ए-इश्क़ की मुश्किल से तुझे

    फ़ैसला छोड़ दिया है तिरी आसानी पर

    हवा और मिट्टी पे कभी हो पाया

    जो भरोसा है मुझे बहते हुए पानी पर

    मैं अभी पहले ख़सारे से नहीं निकला हूँ

    फिर भी तय्यार है दिल दूसरी नादानी पर

    किसी भी वक़्त बदल सकता है लम्हा कोई

    इस क़दर ख़ुश भी हो मेरी परेशानी पर

    ख़त्म होने को हैं अश्कों के ज़ख़ीरे भी 'जमाल'

    रोए कब तक कोई इस शहर की वीरानी पर

    स्रोत :
    • पुस्तक : अकेलेपन की इन्तिहा (पृष्ठ 87)
    • रचनाकार : जमाल एहसानी
    • प्रकाशन : रेख़्ता पब्लिकेशंस (2018)
    • संस्करण : First

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