आरिफ़ शफ़ीक़
ग़ज़ल 10
अशआर 8
जो मेरे गाँव के खेतों में भूक उगने लगी
मिरे किसानों ने शहरों में नौकरी कर ली
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ग़रीब-ए-शहर तो फ़ाक़े से मर गया 'आरिफ़'
अमीर-ए-शहर ने हीरे से ख़ुद-कुशी कर ली
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कैसा मातम कैसा रोना मिट्टी का
टूट गया है एक खिलौना मिट्टी का
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तुझे मैं ज़िंदगी अपनी समझ रहा था मगर
तिरे बग़ैर बसर मैं ने ज़िंदगी कर ली
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए