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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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अगर वो मिल के बिछड़ने का हौसला रखता

इफ़्फ़त ज़र्रीं

अगर वो मिल के बिछड़ने का हौसला रखता

इफ़्फ़त ज़र्रीं

MORE BYइफ़्फ़त ज़र्रीं

    अगर वो मिल के बिछड़ने का हौसला रखता

    तो दरमियाँ मुक़द्दर का फ़ैसला रखता

    वो मुझ को भूल चुका अब यक़ीन है वर्ना

    वफ़ा नहीं तो जफ़ाओं का सिलसिला रखता

    भटक रहे हैं मुसाफ़िर तो रास्ते गुम हैं

    अँधेरी रात में दीपक कोई जला रखता

    महक महक के बिखरती हैं उस के आँगन में

    वो अपने घर का दरीचा अगर खुला रखता

    अगर वो चाँद की बस्ती का रहने वाला था

    तो अपने साथ सितारों का क़ाफ़िला रखता

    जिसे ख़बर नहीं ख़ुद अपनी ज़ात की 'ज़र्रीं'

    वो दूसरों का भला किस तरह पता रखता

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