ताज-महल पर शेर
ताज-महल को दुनिया-भर
में मोहब्बत की एक ज़िंदा अलामत के तौर पर देखा जाता है और सारी दुनिया के आशिक़ों के दिल इस इमारत से मोहब्बत के इसी रिश्ते से जुड़े हैं। आपके दिल में भी इस इमारत को देख कर या उस के बारे में सुन कर एक गर्मी सी पैदा हो जाती होगी। लेकिन शायरी में ताज-महल और मोहब्बत की ये कहानी एक और ही रंग में नज़र आती है। इस कहानी का ये नया रंग आप को हैरान कर देगा।
इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
एक कमी थी ताज-महल में
मैं ने तिरी तस्वीर लगा दी
तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा
ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा
इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है