एक ख़त
यह कहानी लेखक के व्यक्तिगत जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाओं को बयान करती है। एक दोस्त के ख़त के जवाब में लिखे गए उस पत्र में लेखक ने अपने व्यक्तिगत जीवन के कई राज़ों से पर्दा उठाया है। साथ ही अपनी उस नाकाम मोहब्बत का भी ज़िक्र किया है जो उसे कश्मीर प्रवास के दौरान वज़ीर नाम की लड़की से हो गई थी।
सआदत हसन मंटो
चौदहवीं का चाँद
प्राकृतिक दृश्यों का प्रेमी विल्सन की कहानी है जो एक बैंक में मैनेजर था। विल्सन एक बार जज़ीरे पर आया तो चौदहवीं के चाँद ने उसे इतना मंत्रमुग्ध और हैरान किया कि उसने सारी ज़िंदगी वहीं बसने का इरादा कर लिया और बैंक की नौकरी छोड़कर स्थायी रूप से वहीं रहने लगा, लेकिन जब कर्ज़दारों ने परेशान करना शुरू किया तो उसने एक दिन अपने झोंपड़े में आग लगा ली, जिसकी वजह से वह मानसिक रूप से सुन्न हो गया और कुछ दिनों बाद चौदहवीं का चाँद देख कर ही वह मर गया।
सआदत हसन मंटो
ख़लाई दौर की मुहब्बत
भविष्य में अंतरिक्ष में आबाद होने वाली दुनिया का ढाँचा इस कहानी का विषय है। एक लड़की बरसों से अंतरिक्ष स्टेशनों पर रह रही है। वह लगातार ग्रहों और उपग्रहों की यात्राएँ करती रहती है और अपने काम को आगे बढ़ाती रहती है। अपनी इन्हीं व्यस्तताओं के कारण उसे इतना भी समय नहीं मिलता कि वह धरती पर रहने वाले अपने परिवार से कुछ पल बात कर सके। इन्हीं यात्राओं में उसे एक शख़्स से मोहब्बत हो जाती है। उस शख़्स से एक बार मिलने के बाद दोबारा मिलने के लिए उसे बीस साल का लम्बा इंतज़ार करना पड़ता है। इस बीच वह अपने काम को आगे बढ़ाती रहती है, ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए मोहब्बत करना आसान हो सके।
अख़्तर जमाल
दर्स-ए-मोहब्बत
यह यूनान की अपने ज़माने में सबसे ख़ूबसूरत लड़की की कहानी है, जो ज़ोहरा देवी के मंदिर में रहती है। उसके हुस्न के चर्चे हर तरफ़ हैं। यहाँ तक कि उस मुल्क का शहज़ादा भी उसका दीवाना है। एक रात वह उससे एक नदी के किनारे मिलता है और वहाँ वह शहज़ादे को मोहब्बत का ऐसा दर्स देती है कि जिसमें वह फे़ल हो जाता है और वह हसीन लड़की एक किसान के बेटे के साथ शादी कर लेती है।
नियाज़ फ़तेहपुरी
रौशनी की रफ़्तार
‘रोशनी की रफ्तार’ कहानी कुर्तुल ऐन हैदर की बेपनाह रचनात्मक सलाहियतों के नये आयामों को प्रदर्शित करती है। इस कहानी में वर्तमान से अतीत की यात्रा की गयी है। सैकड़ों वर्षों के फासलों को लाँघ कर कभी अतीत को वर्तमान काल में लाकर और कभी वर्तमान को अतीत के अंदर, बहुत अंदर ले जाकर मानव-जीवन के रहस्यों को देखने, समझने और उसकी सीमाओं तथा संभावनाओं का जायज़ा लेने का प्रयत्न किया गया है।
क़ुर्रतुलऐन हैदर
फ़ोटोग्राफ़र
उत्तर-पूर्व के एक शांत क़स्बे में स्थित एक डाक-बंगले के फ़ोटोग्राफ़र की कहानी। फ़ोटोग्राफ़र ज़्यादा टूरिस्टों के न होने के बाद भी अपने क़स्बे में जमा रहता है। डाक-बंगले में इक्का-दुक्का टूरिस्ट आते हैं जिनसे काम के लिए उसने डाक-बंगले के माली से समझौता कर लिया है। उन्हीं टूरिस्टों में एक शाम एक नौजवान और एक लड़की डाक-बंगले में आते हैं। नौजवान मशहूर संगीतकार है और लड़की मशहूर-तरीन नृत्यांगना। दोनों खुश हैं और अगले दिन बाहर घूमने जाते वक़्त वे फ़ोटोग्राफ़र से फोटो भी खिंचवाते हैं, लेकिन लड़की उसे ले जाना भूल जाती है। पंद्रह साल बाद इत्तेफ़ाक़ से वह फिर उसी डाक-बंगले में आती है और फ़ोटोग्राफ़र को वहीं पाकर हैरान होती है। फ़ोटोग्राफ़र भी उसे पहचान लेता है और उसके साथी के बारे में पूछता है। साथी, जो ज़िंदगी की भीड़ में कहीं खो गया और उसे खोए हुए भी मुद्दत हो गई है...
क़ुर्रतुलऐन हैदर
जिला-वतन
यह साझा संस्कृति की त्रासदी की कहानी है। उस साझा संस्कृति की जिसे इस महाद्वीप में रहने-बसने वालों के सदियों के मेलजोल और एकता का प्रसाद माना जाता है। इस कहानी में रिश्तों के टूटने, खानदानों के बिखरने और अतीत के उत्कृष्ट मानवीय मूल्यों के चूर-चूर हो जाने की त्रासदी प्रस्तुत की गई है।
क़ुर्रतुलऐन हैदर
समय का बंधन
एक बाई की रुहानी ज़िंदगी के गिर्द घूमती कहानी, जो कोठे पर मुजरा किया करती थी। मगर एक रोज़ जब वह ठाकुर के यहाँ बैठक के लिए गई तो उसने वहाँ ख़्वाजा पिया मोरी रंग दे चुनरिया गीत गाया। इस गीत का उस पर ऐसा असर हुआ कि उसने उसकी पूरी ज़िंदगी को ही बदल दिया। वह बेक़रार रहने लगी। उस बेक़रारी से छुटकारा पाने के लिए उसने ठाकुर से शादी कर ली। मगर इसके बाद भी उसे सुकून नहीं मिला और वह ख़ुद की तलाश में निकल गई।
मुमताज़ मुफ़्ती
बर्फ़बारी से पहले
यह एक मोहब्बत के नाकाम हो जाने की कहानी है, जो बँटवारे के पहले के मसूरी में शुरू हुई थी। अपने दोस्तों के साथ घूमते हुए जब उसने उसे देखा था तो देखते ही उसे यह एहसास हुआ था कि यही वह लड़की है जिसकी उसे तलाश थी। मगर यह मोहब्बत शुरू होती उससे पहले अपने अंजाम को पहुँच गई और फिर विभाजन हो गया, जिसने कई ख़ानदानों को बिखेर दिया और एक बसे-बसाए शहर का पूरा नक्शा ही बदल गया।
क़ुर्रतुलऐन हैदर
शगूफ़ा
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो जवानी में सैर करने के शौक़ में अमरनाथ की यात्रा पर निकल पड़ा था। वहाँ रास्ता भटक जाने के कारण वह एक कश्मीरी गाँव में जा पहुँचा। उस गाँव में उसने उस ख़ूबसूरत लड़की को देखा जिसका नाम शगूफ़ा था। शगूफ़ा को गाँव वाले चुड़ैल समझते थे और उससे डरते थे। गाँव वालों के मना करने के बावजूद वह शगूफ़ा के पास गया, क्योंकि वह उससे मोहब्बत करता था। उसकी मोहब्बत का जवाब देने से पहले शगूफ़ा ने उसे अपनी वो दास्तान सुनाई, जिसके समापन में उसे अपनी जान देनी पड़ी।
मिसेज़ अब्दुल क़ादिर
मलफ़ूज़ात-ए-हाजी गुल बाबा बेक्ताशी
यह एक प्रयोगात्मक कहानी है। इसमें सेंट्रल एशिया की परम्पराओं, रीति-रिवाजों और धार्मिक विचारों को केंद्र बिंदू बनाया गया है। यह कहानी एक ही वक़्त में वर्तमान से अतीत और अतीत से वर्तमान में चलती है। यह उस्मानिया हुकूमत के दौर की कई अनजानी घटनाओं का ज़िक्र करती है, जिनमें मुर्शिद हैं और उनके मुरीद है। फ़क़ीर हैं और उनका खु़दा और रसूल से रुहानी रिश्ता है। मुख्य किरदार एक ऐसे ही बाबा से मिलती है। वह उनके पास एक औरत का ख़त लेकर जाती, जिसका शौहर खो गया है और वह उसकी तलाश में दर-दर भटक रही है। वह बाबा की उस रुहानी दुनिया के कई अनछुए पहलुओं से वाक़िफ़ होती हैं जिन्हें आम इंसानी आसानी से नज़र-अंदाज़ करके निकल जाता है।
क़ुर्रतुलऐन हैदर
सदा-ए-जरस
इस अफ़साने में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसे मिस्र से आई एक हज़ारों साल पुरानी ममी से मोहब्बत हो जाती है। उस ममी को दिखाने के लिए वह अपने एक ख़ास दोस्त को भी बुलाता है। दोस्त के साथ उसकी बीवी भी आती है। वह जब अपने दोस्त को ममी दिखाता है तो साथ ही चाहता है कि वह उसकी तरह उस ममी से अपनी मोहब्बत को व्यक्त करे। दोस्त अपनी बीवी के कारण उससे मोहब्बत का इज़हार नहीं करता। इसके बाद वह अपनी बीवी को लेकर वापस अपने घर चला आता है। फिर कुछ ऐसी घटनाएँ घटनी शुरू होती हैं कि उसकी ज़िंदगी का चक्र उसी के विरुद्ध घूमना शुरू हो जाता है।
मिसेज़ अब्दुल क़ादिर
सबसे छोटा ग़म
यह एक ऐसी दुखियारी औरत की कहानी है जो अपने हालात से परेशान होकर हज़रत शेख़ सलीम चिश्ती की दरगाह पर जाती है। वह यहाँ उस धागे को ढूंढ़ती है जो उसने सालों पहले उस शख़्स के साथ बाँधा था जिससे वह मोहब्बत करती थी और जो अब उसका था। दरगाह पर और भी बहुत से परेशान हाल मर्द-औरतें हाज़िरी दे रहे थे। वह औरत उन हाज़िरीन की परेशानियों को देख कर दिल ही दिल में सोचती है कि उनके दुखों के आगे उसका ग़म कितना छोटा है।
आबिद सुहैल
मंगल अष्टिका
यह एक ब्रह्मचारी पंड़ित की कहानी है, जिसे अपने ब्रह्मचर्य पर नाज़ है साथ ही उसका जीवन साथी के न होने का दुख भी है। अपने एक यजमान की शादी की रस्म अदा कराते हुए उसे अपनी तन्हाई का एहसास होता है और उसकी तबीयत भी ख़राब हो जाती है। अपनी देखभाल के लिए अपनी भाभी को ख़त लिखता है मगर भाभी धान की कटाई में मसरूफ़ होने के बाइस उसकी देखभाल के लिए नहीं आ पाती। पंडित का एक रिश्तेदार पंड़ित से अपनी पत्नी की तारीफ़ करता है और पत्नी के होने के फ़ायदे बताता है। साथ ही वह पंड़ित को भी शादी करने की सलाह देता है, जिसे पंडित क़ुबूल कर लेता है।
राजिंदर सिंह बेदी
लाल च्यूँटियाँ
यह धर्म, आध्यात्मिकता और हताश मानव स्थिति की कहानी है। यह एक ऐसे दूर स्थित गाँव की कहानी है जहाँ के अधिकतर लोग ग़रीब हैं। उस गाँव में खपरैल की एक मस्जिद है। कहानी मस्जिद के दो पेश इमामों के आसपास घूमती है। पहला इमाम नौकरी छोड़कर चला जाता है तो धूल के ग़ुबार से एक दूसरा इमाम प्रकट होता है। शुरू में तो सब कुछ ठीक-ठाक रहता है, फिर गाँव में विचित्र घटनाएँ होने लगती हैं। नया इमाम जो भी भविष्यवाणी करता है वो सच होती है और उसकी बद-दुआओं से सारा गाँव परेशान हो जाता है। दूसरी तरफ़ ख़ुद पेश-इमाम आर्थिक बद-हाली का शिकार है। उसकी बीवी के मुर्दा बच्चा पैदा होता है और निरंतर भूख से परेशान हो कर बीवी पेश इमाम को छोड़ कर भाग जाती है। एक दिन लोग देखते हैं कि पेश इमाम ने मस्जिद के छप्पर को आग लगा दी है।