कोई अफ़साना या अदब-पारा फ़ोह्श नहीं हो सकता। जब तक लिखने वाले का मक़सद अदब-निगारी है। अदब ब-हैसीयत-ए-अदब के कभी फ़ोह्श नहीं होता।
मेरे अफ़साने तंदुरुस्त और सेहत-मंद लोगों के लिए हैं। नॉर्मल इन्सानों के लिए, जो औरत के सीने को औरत का सीना ही समझते हैं और इससे ज़्यादा आगे नहीं बढ़ते।