मेहनत पर शेर
इंसानी ज़िंदगी की तमाम
बहारें जद्द-ओ-जहद और मेहनत पर ही मुनहसिर होती हैं। इसी लिए कहा जाता है कि "जैसा बोना वैसा काटना" ये महावरा इंसानी तरीक़ा-ए-ज़िंदगी की इसी सच्चाई को वाज़ेह करता है। हमारे मुंतख़ब-कर्दा इन अशआर में मेहनत को ज़िंदगी गुज़ारने के एक उमूमी अमल के तौर पर भी मौज़ू बनाया गया है और उसे एक फ़लसफ़ियाना डिस्कोर्स के तौर पर भी बर्ता गया है। इन अशआर का एक मुस्बत पहलू ये भी है कि उन को पढ़ने से ज़िंदगी करने के अमल में मेहनत का हौसला पैदा होता है।