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महशर पर हास्य शायरी

महशर एक मज़हबी इस्तिलाह

है ये तसव्वुर उस दिन के लिए इस्तेमाल होता है जब दुनिया फ़ना हो जाएगीगी और इन्सानों से उनके आमाल का हिसाब लिया जाएगा। मज़हबी रिवायात के मुताबिक़ ये एक सख़्त दिन होगा। एक हंगामा बर्पा होगा। लोग एक दूसरे से भाग रहे होंगे सबको अपनी अपनी पड़ी होगी। महशर का शेरी इस्तेमाल उस के इस मज़हबी सियाक़ में भी हुआ है और साथ ही माशूक़ के जल्वे से बर्पा होने वाले हंगामे के लिए भी। हमारा ये इन्तिख़ाब पढ़िए।

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