जुस्तुजू पर ग़ज़लें
जुस्तुजू को विषय बनाने
वाली शाएरी बहुत दिलचस्प है। इस में जुस्तुजू, और उस की विविध सूरतें और तलाश में लगे हुए शख़्स की परिस्थितियाँ भी हैं और इसके परिणाम में हासिल होने वाले तजुर्बात भी। यह जुस्तजू प्रेम की भी है और प्रेमीका की भी, ख़ुदा की भी है, और स्वयं अपनी ज़ात की भी। इस शाएरी का वह पल सबसे अधिक दिलचस्प है जहाँ केवल जुस्तुजू ब-ज़ात-ए-ख़ुद जुस्तुजू का प्राप्तांक रह जाती है इसमें न किसी मंज़िल की खोज होती है और न ही किसी लक्ष्य का पीछा।