इज़हार पर दोहे
शायरी में लफ़्ज़ ‘इज़हार’
सिर्फ ‘बताना’ था ‘जताना’ नहीः उर्दू शायरी में यह बुनियादी तौर पर इश्क़ का इज़हार है जो कभी कशमकश की नज़्र हो जाता है तो कभी कामयाबी के सातवें आसमान की सैर करा लाता है। इन लम्हों को हम सब ने जिया है इसलिए इज़हार शायरी का यह गुलदस्ता हाज़िर है रेख़्ता की जानिब।
साफ़ बता दे जो तू ने देखा है दिन रात
दुनिया के डर से न रख दिल में दिल की बात