इंतिज़ार पर चित्र/छाया शायरी
इंतिज़ार ख़ास अर्थों में
दर्दनाक होता है । इसलिए इस को तकलीफ़-देह कैफ़ियत का नाम दिया गया है । जीवन के आम तजरबात से अलग इंतिज़ार उर्दू शाइरी के आशिक़ का मुक़द्दर है । आशिक़ जहाँ अपने महबूब के इंतिज़ार में दोहरा हुआ जाता है वहीं उस का महबूब संग-दिल ज़ालिम, ख़ुद-ग़रज़, बे-वफ़ा, वादा-ख़िलाफ़ और धोके-बाज़ होता है । इश्क़ और प्रेम के इस तय-शुदा परिदृश्य ने उर्दू शाइरी में नए-नए रूपकों का इज़ाफ़ा किया है और इंतिज़ार के दुख को अनन्त-दुख में ढाल दिया है । यहाँ प्रस्तुत संकलन को पढ़िए और इंतिज़ार की अलग-अलग कैफ़ियतों को महसूस कीजिए ।
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दैर ओ हरमऔर 1 अन्य
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चाँदऔर 1 अन्य
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आहटऔर 1 अन्य
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रातऔर 1 अन्य
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दर्दऔर 2 अन्य
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जुदाईऔर 1 अन्य
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आहटऔर 1 अन्य
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रातऔर 1 अन्य
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इल्तिजाऔर 3 अन्य
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इल्तिजाऔर 3 अन्य
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इश्क़और 4 अन्य
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रातऔर 1 अन्य
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रातऔर 1 अन्य
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दर्दऔर 2 अन्य
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क़िस्मतऔर 3 अन्य
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उम्मीदऔर 2 अन्य
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इल्तिजाऔर 3 अन्य