गरेबान पर शेर
शायरी में गिरेबान तभी
गरेबान है जब वो चाक हो। गरेबान का चाक होना, पैरों में आबले आ जाना, दामन का तारतार हो जाना ही आशिक़ के जुनून ओ दीवानगी का कमाल है। हम सही सलामत गरेबान वालों को चाक-गरेबानी का ये क़िस्सा भी पढ़ना चाहिए और जुनून की तस्वीर देखनी चाहिए।
हमेशा मैं ने गरेबाँ को चाक चाक किया
तमाम उम्र रफ़ूगर रहे रफ़ू करते
ऐसा करूँगा अब के गरेबाँ को तार तार
जो फिर किसी तरह से किसी से रफ़ू न हो
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टैग : ख़ुद-अज़िय्यती
सौ बार तिरा दामन हाथों में मिरे आया
जब आँख खुली देखा अपना ही गरेबाँ था
क्या बड़ा ऐब है इस जामा-ए-उर्यानी में
चाक करने को कभी इस में गरेबाँ न हुआ
जब तक कि गरेबान में यक तार रहेगा
तब तक मिरी गर्दन के उपर बार रहेगा