बारिश
"यह एक नौजवान के ना-मुकम्मल इश्क़ की दास्तान है। तनवीर अपनी कोठी से बारिश में नहाती हुई दो लड़कियों को देखता है। उनमें से एक लड़की पर मुग्ध हो जाता है। एक दिन वो लड़की उससे कार में लिफ़्ट माँगती है और तनवीर को ऐसा महसूस होता है कि उसे अपनी मंज़िल मिल गई है लेकिन बहुत जल्द उसे मालूम हो जाता है कि वो वेश्या है और तनवीर उदास हो जाता है।"
सआदत हसन मंटो
बाँझ
आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई कहानी। बंबई के अपोलो-बंदर पर टहलते हुए एक दिन उस शख्स से मुलाकात हुई। मुलाक़ात के दौरान ही मोहब्बत पर गुफ़्तुगू होने लगी है। आप चाहे किसी से भी मोहब्बत कीजिए, मोहब्बत मोहब्बत ही होती है। वह किसी बच्चे की तरह पैदा होती है और हमल की तरह गिर भी जाती है। यानी पैदा होने से पहले ही मर भी सकती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चाहकर भी मोहब्बत नहीं कर पाते हैं और ऐसे लोग बाँझ होते हैं।
सआदत हसन मंटो
बेगू
कश्मीर की सैर के लिए गए एक ऐसे नौजवान की कहानी जिसे वहाँ एक स्थानीय लड़की बेगू से मोहब्बत हो जाती है। वह बेगू पर पूरी तरह मर-मिटता है कि तभी उस नौजवान का दोस्त बेगू के चरित्र के बारे में कई तरह की बातें उसे बताता है। वैसी ही बातें वह दूसरे और लोगों से भी सुनता है। ये सब बातें सुनने के बाद उसे बेगू से नफ़रत हो जाती है, मगर बेगू उसकी जुदाई में अपनी जान दे देती है। बेगू की मौत के बाद वह नौजवान भी इश्क़ की लगी आग में जल कर मर जाता है।
सआदत हसन मंटो
लालटेन
इस कहानी में लेखक ने अपने कश्मीर दौरे के कुछ यादगार लम्हों का बयान किया है। हालाँकि लेखक को यक़ीन है कि वह एक अच्छा क़िस्सा-गो नहीं है और न ही अपनी यादों को ठीक से बयान कर सकता है। फिर भी बटोत (कश्मीर) में बिताए अपने उन क्षणों को वह बयान किए बिना नहीं रह पाता, जिनमें उसकी वज़ीर नाम की लड़की से मुलाक़ात हुई थी। उस मुलाक़ात के कारण वह अपने दोस्तों में बहुत बदनाम भी हुआ था। वज़ीर ऐसी लड़की थी कि जब लेखक अपने दोस्त के साथ रात को टहलने निकलता था तो सड़क के किनारे उन्हें रास्ता दिखाने के लिए लालटेन लेकर खड़ी हो जाती थी।
सआदत हसन मंटो
चौदहवीं का चाँद
प्राकृतिक दृश्यों का प्रेमी विल्सन की कहानी है जो एक बैंक में मैनेजर था। विल्सन एक बार जज़ीरे पर आया तो चौदहवीं के चाँद ने उसे इतना मंत्रमुग्ध और हैरान किया कि उसने सारी ज़िंदगी वहीं बसने का इरादा कर लिया और बैंक की नौकरी छोड़कर स्थायी रूप से वहीं रहने लगा, लेकिन जब कर्ज़दारों ने परेशान करना शुरू किया तो उसने एक दिन अपने झोंपड़े में आग लगा ली, जिसकी वजह से वह मानसिक रूप से सुन्न हो गया और कुछ दिनों बाद चौदहवीं का चाँद देख कर ही वह मर गया।
सआदत हसन मंटो
बारिदा शिमाली
प्रतीकों के माध्यम से कही गई यह कहानी दो लड़कियों के गिर्द घूमती हैं। वे दोनों पक्की सहेलियाँ थीं। उन्होंने एक साथ ही अपने जीवन साथी भी चुने थे। दोनों की ज़िंदगी हँसी-ख़ुशी गुज़र रही थी कि अचानक उन्हें एहसास होने लगता है कि उनके जीवन साथी उनके लिए सही नहीं हैं। फिर एक इत्तिफ़ाक़़ के चलते उनके जीवन साथी एक-दूसरे से बदल जाते हैं। इस बदलाव के बाद उन्हें महसूस होता है कि अब वे सही जीवन साथी के साथ हैं।
सआदत हसन मंटो
माही-गीर
इस कहानी में एक ग़रीब मछुवारे मियां-बीवी के हमदर्दी के जज़्बे को बयान किया गया है। मछुवारे के पाँच बच्चे हैं और वो रात-भर समुंद्र से मछलियाँ पकड़ कर बड़ी मुश्किल से घर का ख़र्च चलाता है। एक रात उसकी पड़ोसन बेवा का इंतक़ाल हो जाता है। मछुवारे की बीवी उसके दोनों बच्चों को उठा लाती है। सुबह मछुवारे को इस हादसे की इत्तिला देती है और बताती है कि दो बच्चे उसकी लाश के बराबर लेटे हुए हैं तो मछुवारा कहता है पहले पाँच बच्चे थे अब सात हो गए, जाओ उन्हें ले आओ। मछुवारे की बीवी चादर उठा कर दिखाती है कि वो दोनों बच्चे यहाँ हैं।
सआदत हसन मंटो
मौसम की शरारत
यह एक ऐसे नौजवान की कहानी है, जो कश्मीर घूमने गया है। सुबह की सैर के वक़्त वह वहाँ के आकर्षक दृश्य को देखता है और उसमें खोया हुआ चलता चला जाता है। तभी उसे कुछ भैंसो, गायों और बकरियों को लिए आती एक चरवाहे की लड़की दिखाई देती है। वह उसे इतनी ख़ूबसूरत नज़र आती है कि उसे उससे मोहब्बत हो जाती है। लड़की भी घर जाते हुए तीन बार उसे मुड़कर देखती है। कुछ देर उसके घर के पास खड़े रहने के दौरान बारिश होने लगती है, और जब तक वह डाक बंगले पर पहुँचता है तब तक वह पूरी तरह भीग जाता है।
सआदत हसन मंटो
मिस्री की डली
मुंबई में लीक से बँधी बेजान और बेरंग ज़िंदगी गुज़ारते शख़्स की कहानी। एक रोज़़ लेटे-लेटे उसे अपनी बीती ज़िंदगी की कुछ घटनाओं की याद आती है। इन्हीं यादों में बेगू भी चली आती है। बेगू वह लड़की है जिससे वह अपने कश्मीर दौरे पर मिला था। वह उस से मोहब्बत करने लगा था। उन दिनों को याद करते हुए उसे इस बात का शिद्दत से एहसास होता है कि बेगू के साथ बिताए दिन उसकी ज़िंदगी के सब से हसीन दिन थे।
सआदत हसन मंटो
मजीद का माज़ी
ऐश-ओ-आराम में ज़िंदगी बसर करते हुए अपने अतीत को याद करने वाले एक अमीर शख़्स की कहानी है। वह अब बहुत अमीर है। उसके पास कोठी है, अच्छी तनख़्वाह है, बीवी-बच्चे हैं और हर तरह का आराम नसीब है। इन सब के बीच उसकी शांति न जाने कहाँ खो गई है। वह शांति जो उसे यह सब हासिल होने से पहले थी जब उसकी तनख़्वाह कम थी, बीवी-बच्चे नहीं थे, कारोबार था और न ही दूसरे झमेले। वह शांति से दो पैसे कमाता था और चैन से सोता था। अब सारे ऐश-ओ-आराम के बाद भी उसे वह शांति नसीब नहीं है।
सआदत हसन मंटो
ताँगे वाले का भाई
कहानी एक ऐसे शख़्स की है जिसे जवानी में हुए एक हादसे के चलते औरत ज़ात से नफ़रत हो जाती है। वह उसकी जवानी की बहारों के दिन थे जब एक दिन अपने दोस्तों के साथ बैठा वह शराब पी रहा था कि अचानक ख़याल आया कि इस मौक़े पर कोई लड़की होनी चाहिए। दोस्तों के इसरार पर उसने एक ताँगे वाले से लड़की का इंतिज़ाम करने के लिए कहा। ताँगे वाला रात को एक बुर्क़ा-पोश को ताँगे में बिठा लाया। मगर कमरे में जाकर जब उसने उस औरत का नकाब खोला तो दंग रह गया। बुर्क़े में कोई औरत नहीं बल्कि हिजड़ा था, जिसने ख़ुद को ताँगे वाले का भाई बताया था।
सआदत हसन मंटो
ना-मुकम्मल तहरीर
यह एक ऐसी शख़्स की कहानी है, जिसे एक पहाड़ी सैर के दौरान एक लड़की से मोहब्बत हो जाती है। लड़की का नाम वज़ीर है और वह एक गडरिये की बेटी होती है। वह कम-उम्र और ख़ूबसूरत लड़की है। जब वह अपनी बकरियों को बुलाती है तो उसकी आवाज़़ बहुत प्यारी लगती है। वह उसकी आवाज़़ को सुनता है और उसे बार-बार बकरियों को बुलाने के लिए कहता है। अचानक उसके मन में न जाने क्या आता है कि वह उसे अपनी बाँहों में भर लेता है और उसके होंठों को चूमना चाहता है, पर वज़ीर उसे एक झटके से अपने से अलग कर देती है। इससे उसके होंठों पर उभरी वह तहरीर ना-मुकम्मल ही रह जाती है।
सआदत हसन मंटो
क़ैदख़ाना
एक ऐसे शख़्स की कहानी, जो तन्हा है और वक़्त गुज़ारी के लिए हर रोज शाम को शराब-ख़ाने में जाता है। वहाँ अपने रोज़ के साथियों से उसकी बातचीत होती है और फिर वह पेड़ों के झुरमुट के पीछे छुपे अपने मकान में आ जाता है। मकान उसे किसी क़ैदख़ाने की तरह लगता है। वह मकान से निकल पड़ता है और क़ब्रिस्तान, पहाड़ियों और दूसरी जगहों से गुज़रते, लोगों के मिलते और उनके साथ वक़्त गुज़ारते हुए वह इस नतीजे पर पहुँचता है कि यह ज़िंदगी ही एक क़ैदख़ाना है।