औरत पर कहानियाँ
औरत को मौज़ू बनाने वाली
शायरी औरत के हुस्न, उस की सिन्फ़ी ख़ुसूसियात, उस के तईं इख़्तियार किए जाने वाले मर्द असास समाज के रवय्यों और दीगर बहुत से पहलुओं का अहाता करती है। औरत की इस कथा के मुख़्तलिफ़ रंगों को हमारे इस इन्तिख़ाब में देखिए।
ताई इसरी
ग्रैंड मेडिकल कॉलेज कलकत्ता से लौटने पर पहली बार उसकी मुलाक़ात ताई इसरी से हुई थी। ताई इसरी ने अपनी पूरी ज़िंदगी अकेली ही गुज़ार दी। वह शादी-शुदा हो कर भी एक तरह से कुँवारी थी। उनका शौहर जालंधर में रहता था और ताई इसरी लाहौर में। मगर अकेली होने के बाद भी उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। और ज़िंदगी को पूरे भरपूर अंदाज़ में जिया।
कृष्ण चंदर
माँ जी
यह कहानी एक ऐसे शख़्स की है, जो अपनी माँ की मौत के बाद उसकी बीती ज़िंदगी के बारे में सोचता है। सादगी पसंद और ख़ूबसूरती की मूरत उसकी माँ, जिसने कभी कोई शौक़ नहीं किया, कभी किसी पर बोझ नहीं बनी और न ही किसी को दुःख दिया। ख़र्चे के लिए रुपये माँगे तो बस ग्यारह पैसे। वह भी मस्जिद के चिराग़ में तेल डलवाने के लिए। एक दिन वह अचानक यूँ ही चली गई... हमेशा हमेशा के लिए।
क़ुद्रतुल्लाह शहाब
बिच्छू फूपी
आत्मकथात्मक शैली में लिखी गई कहानी। चुग़ताई ख़ानदान का एक शजरा है। जिसमें बहन है, भाई है, भाभी, भतीजे और भतीजियाँ। भाभियों को लेकर बहन-भाई का झगड़ा है। कोसना है, रोना है, एक दूसरे को छेड़ना और गालियाँ बकना है। गालियाँ बकने और झगड़ने में बिच्छू फूफी आगे है। बिच्छू अपने भाई से क्यों झगड़ती है और उसे गालियाँ बकती है, इसकी एक नहीं बहुत सारी वज्हें हैं। उन वज्हों को जानने के लिए पढ़ें यह मज़ेदार कहानी।