रौग़नी पुतले
स्टोरीलाइन
राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे पर बात करती कहानी, जो शॉपिंग आर्केड में रखे रंगीन पुतलों के गिर्द घूमती है। जिनके आस-पास सारा दिन तरह-तरह के फै़शन परस्त लोग और नौजवान लड़के-लड़कियाँ घूमते रहते हैं। मगर रात होते ही वे पुतले आपस में गुफ़्तगू करते हुए मौजूदा हालात पर अपनी राय ज़ाहिर करते हैं। सुबह में आर्केड का मालिक आता है और वह कारीगरों को पूरे शॉपिंग सेंटर और तमाम पुतलों को पाकिस्तानी रंग में रंगने का हुक्म सुनाता है।
शहर का इलिट शॉपिंग सेंटर... जिसकी दीवारें, शेल्फ़, अलमारियां बिलौर की बनी हुई हैं। जिसका बना सजा फ़ेकेड जलते-बुझते रंगदार साइज़ से मुज़य्यन है। जिसके काउंटर्ज़ मुख़्तलिफ़ रंगों के गुलू क्लर्ज़ पेंटस की धारियों से सजे हुए हैं और शेल्फ़ दीदा ज़ेब सामान से लदे हैं जिसके काउंटरों पर स्मार्ट मुतबस्सिम लड़कियां और लड़के यूं ईस्तादा हैं जैसे वो भी प्लास्टिक के पुतले हों। जो उनके इर्दगिर्द यहां वहां सारे हाल में जगह जगह रंगा-रंग लिबास पहने खड़े हैं... हाल फ़ैशन आर्केड से कौन वाक़िफ़ नहीं।
चाहे उन्हें कुछ न ख़रीदना हो, लोग किसी न किसी बहाने फ़ैशन आर्केड का फेरा ज़रूर लगाते हैं। वहां घूमते फिरते नज़र आना एक हैसियत पैदा कर देता है। कुछ पाश चीज़ों और नए डिज़ाइनों को देखने आते हैं ताकि महफ़िलों में लेटस्ट फ़ैशन की बात कर के उप टू डेट होने का रोब जमा सकें। नौजवान आर्केड में घूमने फिरने वालियों को निगाहों से टटोलने आते हैं। गुंडे सेल गर्लज़ से अटास्टा लगाने की कोशिश करते हैं। लड़कियां अपनी नुमाइश के लिए आती हैं। बूढ़े ख़ाली आँखें सेंकते हैं। घाग बेगमात ग्रीन यूथ की टोह में आती हैं। वो सिर्फ़ फ़ैशन आर्केड ही नहीं, रूमान आर्केड भी है, क्यों न हो। आज मुहब्बत भी तो फ़ैशन ही है।
कौन सी चीज़ है जो फ़ैशन आर्केड मुहय्या नहीं करता। ज़रबफ्त से गाढे तक। मोस्ट माडर्न गैजट्स से सुई सलाई तक सी थ्रो से रंगीन मालाओं तक। सब कुछ वहां मौजूद है। लोग घूम घाम कर थक जाते हैं तो आर्केड के रेस्तोराँ में काफ़ी का प्याला लेकर बैठ जाते हैं।
फ़ैशन आर्केड की अहमियत का ये आलम है कि फ़ोरेन डिग्नीटरीज़ ने ख़रीद-ओ-फ़रोख़त करनी हो तो उन्हें ख़ास इंतिज़ामात के तहत आर्केड में लाया जाता है।
आर्केड हाल में जगह जगह रोग़नी पुतले तरह तरह का लिबास पहने खड़े हैं। चेहरों पर जवानी की सुर्ख़ी झिलमिला रही है। आँखों में दावत भरी चमक है। होंटों पर रज़ामंदी भरा तबस्सुम खुदा है। जिस्म के पेच-ओ-ख़म हर लहज़ा यूं उभरते सिमटते महसूस होते हैं जैसे सुपुर्दगी के लिए बे-ताब हों।
अगर डमी पुतले प्लास्टिक के जुमूद में मुक़य्यद हैं मगर सन्नाअ ने उन्हें ऐसी कारीगरी से बनाया है कि उनके बंद बंद में हरकत की एल्यूज़न लहरें ले रही हैं। यूं लगता है जैसे वो रवाँ-दवाँ हों।
सी थ्रो लिबास वाली पुतली को देखो तो ऐसे लगता है जैसे वो अभी अपनी ब्रहना टांग उठा कर कहेगी, होए मुझे सँभालो। मैं गिरी जा रही हूँ। और जैकेट वाला अपनी ऐनक उतार कर मूंछों को लटकाते हुए चल पड़ेगा, होल्ड आन डार्लिंग मेरी गोद में गिरना।
आर्केड में बहुत सी पुतलियां पोज़ बनाए खड़ी हैं। मिनी स्कर्ट वाली, साड़ी वाली, बेदिंग कॉस्ट्यूम वाली, मैक्सी वाली, सी थ्रो लिबास वाली, लटकते बालों वाली, पतलून वाली नंगे-पाँव वाली, हपन, टोकरा बालों वाली, उंगली से लगे बच्चे वाली।
उनके साथ साथ पुतले खड़े हैं। शिकारी जैकेट वाला, दानिश्वर, मोटर साईकल वाला, ब्लैक सूट, अचकन, हिप्पी, कुरते-पाजामे वाला, स्टूडैंट, डैनडी, मुसव्विर।
आर्केड बाल के ऊपर दीवार के साथ साथ एक गैलरी चल गई है। जहां नज़रों से ओझल दुकान का काठ कबाड़ पड़ा है। पुरानी मेज़ें कुर्सियाँ, शेल्फ़ और पुतले जिनका रंग-ओ-रोग़न उखड़ चुका है।
रात का वक़्त है। आर्केड बंद हो चुका है। हाल में सात आठ बत्तियां रोशन हैं, शीशे की दीवारों की वजह से बाल जगमग कर रहा है।
घड़ी ने दो बजाये। सारे हाल में हरकत की एक लहर दौड़ गई। पुतलियों ने आँखें खोल दीं। पुतलियों की लंबी लंबी पलकें यूं चलने लगीं जैसे पंखियां चल रही हों।
सी थ्रो ने अंगड़ाई ली।
मिनी स्कर्ट वाली ने अपनी टांग उठाई।
जैकेट वाले दानिश्वर ने अपना क़लम जेब में टांगा। ऐनक साफ़ की और सी थ्रो की तरफ़ भूकी नज़रों से देखने लगा।
मोटर साईकल वाले ने पीछे बैठी लटकते बालों वाली पर ग्लीड आई चमकाई। लटकते हुए बालों वाली से छींटे उड़ने लगे।
माई गॉड। सी थ्रो चिल्लाई। ये देखो, उसने अपनी टांग लहराई। मेरी टांग पर नीली रगें उभर आई हैं खड़े खड़े।
क्यों न हो, ब्लू ब्लड है। ब्लैक सूट मुस्कुराया।
दूर से एक आवाज़ आई। साग़र को मरे हाथ से लेना कि चली मैं। सब लोग बुक्स के पास खड़ी पतलून वाली की तरफ़ देखने लगे।
तेरे हाथ तो ख़ाली हैं। कहाँ है साग़र? कुरते पाजामे वाले ने पूछा।
अंधे, वो तो ख़ुद साग़र है, दिखता नहीं तुझे। जीन वाला हिंसा।
मैं तो बोर हो गई हूँ। मिनी स्कर्ट वाली ने आँखें घुमा कर कहा।
क्यों मज़ाक़ करती हो? मोटर साईकल वाले ने ग्लीड आई चमकाई।
तुम तो सरापा हरकत हो। तुम्हारी तो बोटी बोटी थिरकती है। तुम कैसे बोर हो सकती हो?
क्यों बनाते हो उसे, उसके जिस्म पर बोटी ही नहीं, थिरकेगी कहाँ से। दूर कोने में खड़े अचकन वाले ने कहा।
हाँ! पहलवान नुमा करने वाले ने सर इस्बात में हिलाया। वो तो मुटियार का ज़माना था जब बोटी बोटी थिरका करती थी। अब तो काठ ही काठ रह गया है।
शट अप। जीन वाले ने आँखें दिखाईं। अपने दक़यानूसी रजअत-पसंद ख़यालात से फ़ैशन आर्केड की फ़िज़ा को मुतअफ़्फ़िन न करो।
अबे मिस्टर अचकन। स्टूडैंट चिल्लाया, ज़रा आईना देखो। यूं लगते हो जैसे सारंगी पर ग़लाफ़ चढ़ा हो।
ये मिस्टर अचकन तो ख़ालिस हिस्ट्री है हिस्ट्री। उसे तो म्यूज़ियम में होना चाहिए।
एंटिक्स म्यूज़ियम में। जैकेट वाले ने क़हक़हा लगाया।
बिल्कुल, इन रिवायती लोगों को जीने का कोई हक़ नहीं।
ये लोग ज़िंदगी को क्या जानें।
हिप्पो क्रेटस। हर तरफ़ से आवाज़ें आने लगीं।
इग्नोर हिम, हटाओ... कोई और बात करो। सी थ्रो आँखें घुमा कर बोली।
हाव कैन दे इग्नोर हिम? ये लोग हमारे रास्ते की रुकावट हैं।
नान सेंस। हमारे रास्ते में कोई रुकावट नहीं बन सकता। वी आर ऑल फ़ार प्रोग्रेस मूवमेंट। जैकेट वाला चिल्ला कर बोला।
हीर हीर। तालियों से हाल गूँजने लगा।
हाहा हाहा ऊपर गैलरी में कोई क़हक़हा मार कर हंसा। उसकी आवाज़ खरज थी। अंदाज़ वालहाना था। तालियाँ रुक गईं। हाल में ख़ामोशी छा गई। फिर सरगोशियाँ उभरीं।
कौन है ये?
कौन हंस रहा है?
पता नहीं, ऊपर से आवाज़ आ रही है।
हए मैं तो डर गई। कितनी हॉर्स आवाज़ है।
क़हक़हा रुक गया, फिर क़दमों की आवाज़ सुनाई दी... ठक ठक ठक ठक।
कोई चल रहा है ऊपर।
हए मेरी तो जान निकली जा रही है।
पता नहीं कौन है। मिनी स्कर्ट वाली बोली।
डोंट फियर डार्लिंग। आई ऐम हियर बाई योर साईड।
वो देखो... वो। टोकरा बालों वाली ने ऊपर की तरफ़ इशारा किया।
ऊपर... गैलरी के जंगले पर। साड़ी वाली डर कर बोली।
सबकी निगाहें ऊपर जंगले की तरफ़ उठ गईं।
गैलरी की रेलिंग से एक बड़ा सा भयानक चेहरा झांक रहा था।
तौबा है। उफ़... हाय... पुतलियों ने शोर मचा दिया।
कौन है तू? मोटर साईकल वाला अपना साईलेंसर निकाल कर गुर्राया।
मैं वो हूँ जो एक रोज़ मशहदी लुंगी बाँधे वहां खड़ा था, जहां आज तू खड़ा है।
इसकी आवाज़ इतनी भद्दी क्यों है? सी थ्रो ने सीना सँभाला।
कहाँ से बोल रहा है ये? पतलून वाली ने पूछा।
मैं वहां से बोल रहा हूँ जहां बहुत जल्द तुम फेंकी जाने वाली हो। लुंगी वाला कहने लगा।
पुतलियों का रंग ज़र्द पड़ गया। उनके मुँह से चीख़ें सी निकलीं। नो नो... नो नो... नेवर। माई गॉड। होए अल्लाह। वो सब सहम कर पीछे हट गईं।
डोंट माईंड हिम डार्लिंग। जीन वाला बोला। ये तो पिटा हुआ मोहरा है। पिटे हुए मुहरे से क्या डरना।
दैट्स इट दैट्स इट, दे बिलांग टू दी पास्ट।
ये अब भी माज़ी में रहते हैं और हमको माज़ी की तरफ़ घसीटना चाहते हैं। जैकेट वाला हक़ारत से बोला।
बड़े मियां सलाम। जैकेट वाले ने माथे पर हाथ मार कर तंज़िया सलाम किया। माज़ी परस्ती का दौर ख़त्म हुआ। हज़्ज़त अब जदीदियत का ज़माना है।
गैलरी में औंधा पड़ा हुआ रूमी टोपी वाला लंगड़ा सोटी पकड़ कर उठ बैठा।
अहमक़ हैं ये जदीदियत के दीवाने। इतना भी नहीं जानते कि इस दुनिया में न क़दीम है न जदीद। जो आज जदीद है वो कल क़दीम हो जाएगा।
ये ज़ाहिर के दीवाने क्या समझेंगे। मशहदी लुंगी वाले ने क़हक़हा लगाया कि दूर एक घूमता हुआ चक्कर है जो आज ऊपर है, कल नीचे चला जाएगा। जो आज नीचे है, कल ऊपर आ जाएगा।
जीन वाले ने अपनी पतलून झाड़ी। इन कबाड़ ख़ानों वालों की बातें न सुनो। ये बेचारे क्या जानें जदीदियत को।
जदीदियत के दीवाने। आज तेरी पतलून के पाइंचे खुले हैं। कल तंग हो जाऐंगे। परसों फिर खुल जाऐंगे। यही है न तेरी जदीदियत। रूमी टोपी वाले ने क़हक़हा लगाया।
ज़रा उसकी जीन की तरफ़ देखो। लुंगी वाला बोला, नीली पतलून पर सुर्ख़ टली लगी हुई है... हाहा, हाहा। वो क़हक़हा मार कर हँसने लगा।
अहमक़! ये टली नहीं। पिच है पिच। पिच फ़ैशन है। पुच्छ लगी जीन की क़ीमत आम पतलून से दुगुनी होती है। तुझे कुछ पता भी हो।
पैवंद कभी ग़ुर्बत का निशान था। पैवंद लगे कपड़ों वाले से लोग यूं घिन खाते थे जैसे कोड़ी हो। आज तुम इस पैवंद की नुमाइश पर फ़ख़्र महसूस कर रहे हो। मशहदी लुंगी वाला हँसने लगा। तुम अजीब तमाशा हो।
रूमी टोपी वाले ने क़हक़हा लगाया। दौर-ए-जदीद के तख़य्युल का फ़ुक़दान मुलाहिज़ा हो। पैवंद को फ़ैशन बना बैठे हैं। ही ही ही ही...
सारा क्रेडिट हमें जाता है। हपन ने सर उठा कर कहा।
हाएं... ये क्या कह रही है? पतलून वाली ने पूछा।
लूसी थ्रो ज़ेर-ए-लब गुनगुनाई, छलनी बी बोली।
हाँ! हिप्पी ने सीने पर हाथ मारा, सारा क्रेडिट हमें जाता है।
ताफ़्फ़ुन का क्रेडिट, ग़लाज़त का क्रेडिट और कौन सा। बेदिंग कॉस्ट्यूम वाली बोली। साड़ी वाली ने नाक चढ़ाई।
हिप्पी ने क़हक़हा लगाया। जदीदियत के ज़ह्नी ताफ़्फ़ुन को दूर करने का क्रेडिट। जदीदियत के बुत तोड़ने का क्रेडिट। झूटी क़दरों को पांव तले रौंदने के लिए हमें ग़लाज़त को अपनाना पड़ा।
स्पोर्टस गर्ल ने बैडमिंटन रैकट को घुमा कर दाँत निकाले।
डेंटल क्रीम का इश्तिहार किसे दिखा रही हो? हिप्पी हंसा। हमने दौर-ए-हाज़रा के सबसे बड़े बुत दौलत को पाश पाश कर दिया। हमने झूटे रख-रखाव का बुत रेज़ा रेज़ा कर के रख दिया। हमने माडर्न एज के वाहिद दिल बहलावे स्मॉल कम्फर्टस की नफ़ी कर दी। हमने मग़रिबी तहज़ीब का जनाज़ा निकाल दिया।
ये बेचारे क्या जानें। हपन बोली। ज़ाहरियत के मतवाले... जब कोई तहज़ीब मुतअफ़्फ़िन हो जाती है तो उसे मिस्मार करने के लिए मुजाहिद भेज दिए जाते हैं। हम वो मुजाहिद हैं।
तुम्हारी तहज़ीब अपने ख़ंजर से आप ही ख़ुदकुशी करेगी। रूमी टोपी वाले ने क़हक़हा लगाया।
बिल्कुल दुरुस्त। लुंगी वाला चिल्लाया। ये ट्रांजीशनल दौर है। जब एक शो ख़त्म हो जाता है तो दूसरे शो के वास्ते हाल साफ़ करने के लिए जमादार आ जाते हैं। ये जमादारों का दौर है।
सिल्ली फ़ूल। सी थ्रो हंसी। ये तो रोमांस का दौर है।
रोमांस! गैलरी के काठ कबाड़ से एक मजनूँ सिफ़त दीवाना लपक कर रेलिंग पर आ खड़ा हुआ। तुम क्या जानो, रूमान क्या होता है... तुम्हारे दौर ने तो इश्क़ का गला घूँट दिया। आशिक़ को ठंडा कर के रख दिया। महबूब से महबूबियत छीन कर उसे रंडी बना दिया। उर्यानी को रूमान नहीं कहते बीबी।
हाल्डर डैश।
नान सेंस।
रूमी टोपी वाले ने एक लंबी आह भरी। दोस्तो हमारे ज़माने में औरत का नक़ाब सरक जाता था तो गाल देखकर मर्द में तहरीक पैदा होती थी लेकिन अब नंगे पिंडों की यलग़ार ने मर्दाना हिस को कुंद कर दिया है। तुम्हारे दौर ने मर्द को नामर्द और औरत को बाँझ कर के रख दिया है।
जैकेट वाला आगे बढ़ा। उसने क़लम जेब में डाला। ऐनक उतारी। हम जिंस के मतवाले नहीं। हम जिंस की दलील में डूबे हुए नहीं हैं। दौर-ए-हाज़िर में सबसे अहम तरीन मसला इक़तिसादियात का है। तुम हालात हाज़रा से चश्मपोशी करते हो। हम तुम्हारी तरह हालात हाज़रा से आँखें नहीं चुराते। हम तरक़्क़ी-पसंद लोग हैं।
हालात हाज़रा। रूमी टोपी वाले ने क़हक़हा लगाया। तुम्हारे नज़दीक हालात हाज़रा रोटी, कपड़ा और मकान हैं। हमारे नज़दीक सबसे बड़ा मसला अना का है। सेल्फ़ का... मैं का।
रोटी कपड़े वालो हमारी तरफ़ देखो। हपन चिल्लाई, जो मिलता है, खा लेते हैं। जहां बैठ जाते हैं, वही ठिकाना बन जाता है। जो मयस्सर आता है, पहन लेते हैं। कहाँ हैं वो मसले जिन्हें तुम एहराम मिस्र बनाए बैठे हो।
उंहू उन्हें कुछ न कहो। ये तो फ़ौरन ख़यालात की ऐड के बलबूते पर खड़े हैं। उन्हें कोई कुछ नहीं कह सका। रूमी टोपी वाला बोला।
कल जब रोटी, कपड़ा और मकान का मसला हल हो जाएगा, फिर तुम्हारे पल्ले क्या रह जाएगा, बताओ। हपन बोली।
ये तो हरकत के मतवाले हैं, मंज़िल के नहीं, इन्हें सिर्फ़ चलने का शौक़ है, पहुंचने का नहीं। मशहदी लुंगी वाले ने मुँह बनाया।
बको नहीं, हमारे रास्ते में जो शख़्स रोड़े अटकाएगा, उस पर रजअत पसंदी का लेबल लगा दिया जाएगा।
हिप्पी क़हक़हा मार कर हंसा। सो वाट... हम हिप्पियों पर रजअत पसंदी का लेबल लगाओ। बे-शक लगाओ, हमने कैपिटल इज़्म की बुनियादें खोखली कर दी हैं। हमने इक़तिदार पसंदी का तम्सख़र उड़ाया है। हम में और उन गोरिलों में क्या फ़र्क़ है जो सरमायादारी के ख़िलाफ़ जान की बाज़ी लगाए बैठे हैं।
सिर्फ़ यही कि तरीक़-ए-कार मुख़्तलिफ़ है। हपन ने लुक़मा दिया।
हाल पर सन्नाटा छा गया।
सी थ्रो अपने जिस्म के पेच-ओ-ख़म का जायज़ा ले रही थी। साड़ी वाली अपना पल्लू सँभाल रही थी। लटके बालों वाली मुँह में उंगली डाले खड़ी थी। पतलून वाली का चेहरा हक़ारत से चुक़ंदर बना हुआ था। किताबों में तो ये बात कहीं नज़र से नहीं गुज़री।
मजनूं नुमा ने क़हक़हा लगाया। ख़ुद को ज़िंदगी के मतवाले गर्दानने वाले किताबों की बैसाखियों के सहारे के बग़ैर चल नहीं सकते। ज़िंदगी किताबों से अख़्ज़ नहीं की जाती मिस्टर। ज़िंदगी हाल है... किसी साहिब-ए-हाल से पूछो।
जो कील-ओ-क़ाल के दीवाने हैं, उन्हें हाल का क्या पता? लुंगी वाला बोला।
उन्हें इतना नहीं पता कि हाल पर कील-ओ-क़ाल नहीं हो सकता। हाल को रद्द नहीं किया जा सकता। हाल सबसे बड़ी हक़ीक़त है।
हाल पर ख़ामोशी छा गई।
फिर दूर से एक सरगोशी उभरी... मैं कहाँ आ फंसी हूँ। बच्चे को उंगली लगाए खड़ी माँ गुनगुना रही थी। ये दौर माँ का दौर नहीं। ये तो औरत का दौर है। मैं कहाँ आ फंसी हूँ।
औरत का नहीं बीबी। पहलवान कुरते वाले ने सर हिला कर कहा। ये तो लड़की का दौर है। उन्हें क्या पता कि औरत किसे कहते हैं। बाल सफ़ेद हो जाते हैं, फिर भी ये लड़कियां ही बनी रहती हैं।
ख़ामोश। आर्केड की फ्रंट रो में खड़ी टोकरा बालों वाली बोली, सुनो सुनो! ये कैसी आवाज़ है?
कौन सी आवाज़?
किधर है आवाज़?
चुप! मोटर साईकल वाला चिल्लाया। ये तो टेलीफ़ोन की घंटी बज रही है।
ये आवाज़ तो बाहर से आ रही है। मिनी स्कर्ट वाली ने कहा।
जैकेट वाले ने ऐनक साफ़ की और बाहर देखने लगा।
होए अल्लाह। सी थ्रो बोली, ये आवाज़ तो इमरजेंसी फ़ोन बूथ से आ रही है। वो जो बाहर पोर्टिको में है।
ख़ामोश। शिकारी डाँट कर बोला, सब अपनी अपनी जगह खड़े हो जाओ... वो आ रहा है।
कौन आ रहा है? सी थ्रो ने ज़ेर-ए-लब पूछा।
चौकीदार।
चौकीदार। पुतलियां सहम कर पीछे हट गईं। पुतले बाहर झाँकने लगे।
सामने एक ऊंचा लंबा, जहलमी जवान ख़ाकी वर्दी पहने सर पर पगड़ी लपेटे हाथ में सोंटा उठाए बूथ की तरफ़ भागा आ रहा था।
बिल्कुल उजड्ड नज़र आता है। पतलून वाली ने हक़ारत से होंट निकाले।
गाकी, क्रूड, इनकोथ। टोकरा बालों वाली दाँत भींच कर बोली।
मेरे बदन पर तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं उसे देखकर। सी थ्रो ने कहा।
चौकीदार ने सोंटा बाहर खड़ा किया और ख़ुद जल्दी से बूथ में दाख़िल हो गया। उसने टेलीफ़ोन का चोंगा उठाया और फ़ोन पर बातें करने लगा। उसके होंट हिल रहे थे लेकिन बात सुनाई नहीं दे रही थी। चंद एक मिनट के बाद वो बूथ से बाहर निकला और हस्ब-ए-मामूल हाल का चक्कर लगाने की बजाय हाल की तरफ़ पीठ कर के खड़ा हो कर सड़क की तरफ़ देखने लगा।
ज़रूर कोई इमरजेंसी है। शिकारी ने छाए हुए सुकूत को तोड़ा।
गैलरी में रूमी टोपी वाला हंसा। इमरजेंसी... ये दौर तो बज़ात-ए-ख़ुद एक स्टेट आफ़ इमरजेंसी है।
एक उबाल है। बे-मक़्सद उबाल। लुंगी वाले ने क़हक़हा लगाया।
मिनी स्कर्ट वाली ने लंबी लंबी पलकें झपका कर ऊपर देखा।
इग्नोर हिम माई डियर... मोटर साईकल वाले ने साईलेंसर फिट कर के कहा।
मैं कहता हूँ, ज़रूर ये किसी के इंतिज़ार में खड़ा है। ज़रूर कोई आने वाला है।
स्टूडैंट ज़ेर-ए-लब बोला।
चौकीदार को देखकर मेरी रूह ख़ुश्क हो जाती है। सी थ्रो ने होंटों पर ज़बान फेरी।
लुंगी वाले ने मुस्कुरा कर पूछा, बीबी क्या तेरे अंदर रूह भी है। होती तो सी थ्रो न होती।
कितनी डरावनी शक्ल है चौकीदार की। पतलून वाली, लुंगी वाले के सवाल को दबाने के लिए बोली।
रूमी टोपी वाला हँसने लगा। कितनी अजीब बात है अपनों को देखकर डर कर सहम जाती हैं। बेगानों को देखकर ऐट होम महसूस करती हैं।
शट अप। पतलून वाली डाँट कर बोली, यू... अन कल्चर्ड... अन कोथ... सीवज।
वेल सेड। ब्लैक सूट ने कहा, हियर हियर... जैंटलमैन चियर्ज़।
सारा हाल तालियों की आवाज़ से गूँजने लगा। हमारे दौर में अन सिवीलाइज़्ड। अन एजुकेटेड लोगों को लब हिलाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। जैकेट वाला मुँह से झाग निकालते हुए बोला।
तुम्हारा दौर। मजनूं नुमा हंसा। नक़्क़ालों का दौर, चर्बा दौर, ये दौर मग़रिबी तहज़ीब की कापी है, कापी। बेगानों की तर्ज़-ए-ज़िदंगी की नक़ल करो। उनके ख़याल को अपनाओ। अपनों से लगतों से नफ़रत करो। यही ना।
मग़रिबी तहज़ीब मग़रिब में ख़ुदकुशी कर चुकी है। चांद ग़ुरूब हो चुका है। उसकी आख़िरी शुआएं यहां सराबी रंग खा रही हैं। हिप्पी मुस्कुराया, और...
मैं कहती हूँ। हपन ने उसकी बात काटी, अगर नक़ल ही करनी है तो किसी ऐसी क़ौम की करो जिसमें जान है, ज़िंदगी है। चर्बा बनना है तो किसी ऐसी तहज़ीब का बनो जो उभर रही है। क्यों डूबते सूरज को पूज रहे हो?
जैकेट वाले ने अपना क़लम जेब में अटकाया। ऐनक को सँभाला, लंबे लंबे डग भरे और हाल के दरमियान आकर बोला, कौन नहीं जानता कि कौन सी कौमें उभर रही हैं।
मशहदी लुंगी क़हक़हा मार कर हंसा। ज़रा इस फ़ैशन आर्केड पर नज़र दौड़ाओ। रंग उन क़ौमों का है जिनका तुम हवाला दे रहे हो?
क्या ये मिनी स्कर्ट, ये सी थ्रो बीबी, उस आईडीयल के मज़हर हैं जिसके तुम दावेदार हो? क्या तुम्हारे दौर जिस पर तुम इतने नाज़ाँ हो, तुम्हारे मक़ासिद की निशानदेही करता है? रूमी टोपी वाला जोश में बोला।
अभी हम जद्द-ओ-जहद के आलम में हैं। स्टूडैंट ने अपने टोकरा बालों को झटक कर सँवारते हुए कहा।
मजनूं नुमा हंसा। ज़रा आईना देखो मियां। क्या जद्द-ओ-जहद करने वालों की शक्लें ऐसी होती हैं जैसी तुम्हारी हैं? क्या उनकी क़लमें सारंगी होती हैं? क्या उनके सुरों पर बालों के टोकरे धरे होते हैं? क्या उनकी आँखों में सुर्मे की धार होती है? क्या वो ऐसे बने ठने होते हैं जैसे तुम हो? तुमने तो लड़कियों को भी मात कर दिया। ईमान से...
हाल पर ख़ामोशी तारी हो गई।
सब चुप हो गए। रूमी टोपी वाला हँसने लगा।
किसी ने रूमी टोपी वाले को जवाब न दिया।
वो दिन कब आएगा? दूर से यूं आवाज़ सुनाई दी जैसे कोई आहें भर रहा हो। कौन सा दिन बीबी? कुरते पाजामे वाले ने पूछा।
जब मुझे मामता के जज़्बे पर शर्मिंदगी न होगी। बच्चे की उंगली लगाए खड़ी माँ बोली, जब इस आर्केड में उठकर खड़ी हो सकूँगी।
सच कहती हो बीबी। आज के दौर में माएं अपने बच्चों को अपनाते हुए शर्म महसूस करती हैं। रूमी टोपी वाले ने कहा।
वो माँ कहलवाना नहीं चाहतीं। कुरते पाजामे वाला बोला, बच्चों से कहती हैं, मुझे बाजी बुलाओ।
आज की औरत, औरत बन कर जीना चाहती है, माँ बन कर नहीं। लुंगी वाला बोला।
मैं पूछता हूँ, क्या औरत को औरत बन कर जीने का हक़ नहीं। तुमने उसे माँ बना कर क़ुर्बानी का बकरा बना दिया था। हमने उसे औरत की हैसियत से जीने का हक़ दिया है। ब्लैक सूट वाले ने कहा।
तुम्हें कुछ पता भी हो। रूमी टोपी वाला हंसकर बोला, वो सब तहज़ीबें तबाह कर दी गईं जिन्हों ने मामता को रद्द कर दिया था और औरत को औरत बन कर जीने का हक़ दिया था। इस दुनिया में सिर्फ़ वही तहज़ीब पनप सकती है जो बच्चे को ज़िंदगी का मक़सद माने।
पागल हैं ये माज़ी के दीवाने। जैकेट वाले ने ऐनक उतार कर साफ़ की, इतना नहीं जानते कि आज सबसे बड़ा मआशी मुतालिबा ये है कि बच्चों की पैदाइश को रोका जाये।
बिल्कुल बिल्कुल। ब्लैक सूट वाले ने हाँ में हाँ मिलाई।
बच्चे कम ख़ुश हाल घराना। मोटर साईकल वाला गुनगुनाने लगा।
सुब्हान अल्लाह, मशहदी लुंगी वाला बोला, सोशलइज़्म के नाम लेवा सरमायादारों के हरबे का परचार कर रहे हैं।
भाई साहिब, बच्चे तो ग़ुर्बत की पैदावार हैं। क़ुदरत का उसूल जिस घर में पैसे की रेल-पेल होगी, बच्चे पैदा करने की क़ुव्वत कम हो जाएगी। अगर ग़रीबों की ये सलाहियत ख़त्म कर दी गई तो तख़लीक़ का अमल मद्धम पड़ जाये, शायद ख़त्म हो जाये। रूमी टोपी वाले ने कहा।
मैन पावर की अज़मत को मानने वाले बच्चों की पैदाइश को मआशी रुकावट समझ रहे हैं। मजनूं नुमा क़हक़हा मार कर हँसने लगा।
पुतलियां एक दूसरे से सरगोशियाँ करने लगीं।
क्या कह रहा है ये?
गॉड नोज़...!
होए। चिल्डर्न आर ए नवे सेंस।
सयानों ने कहा था। कुरता पाजामा वाला कहने लगा, कि...
कौन सयाने? जैकेट वाले ने पूछा।
हमारे लगते लोग। कुरता पाजामे वाले ने वज़ाहत की कोशिश की।
तुम अपने लगतों की बात कर रहे हो। लुंगी वाले ने उसे टोका, उन्हें समझ में नहीं आएगी। उनके लगते तो मग़रिब में रहते हैं। ये तो मग़रिबी तहज़ीब के दीवाने हैं।
वो दिन दूर नहीं। अचकन वाले ने कहा, जब उन्हें अपने लगतों को अपनाना पड़ेगा।
भूल जाओ वो दिन। जैकेट वाला जलाल में बोला, वो दिन कभी नहीं आएगा।
हम तरक़्क़ी की जानिब क़दम उठा रहे हैं। हम आगे बढ़ने के क़ाइल हैं। हम कभी वापस माज़ी की तरफ़ नहीं जाऐंगे।
मोटर साईकल वाले ने लटके बालों वाली की तरफ़ देखा, क्यों डार्लिंग।
फ़ार्गेट दैट डे। एट विल नेवर कम। लटके बालों वाली ने बाल झटक कर कहा।
गैलरी के काठ कबाड़ से एक पुतला उठ बैठा। उसने एक लंबा चुग़ा पहन रखा था। सर पर कुलाह था, कौन नहीं मानता उस दिन को। क्या तुम्हें नज़र नहीं आ रहा है।
अच्छा बदल रहा है क्या? शिकारी ने तंज़न कहा।
सब पुतले हँसने लगे।
दुनिया के सारे मज़हब, सारे नजूमी, सारे सीरिज़ आने वाले गोल्डन एज को मानते हैं। चुग्गे वाला चिल्लाया।
ईसाई, मुसलमान, यहूदी, हिंदू सभी मानते हैं। एस्ट्रालोजर्ज़ उसकी शहादत देते हैं। रूमी टोपी वाले ने कहा।
वो गोल्डन एज। चुग्गे वाले ने उंगली उठा कर कहा, जब तरक़्क़ी का रुख माद्दी सहूलतों से हट कर रुहानी मक़ासिद की तरफ़ मुड़ जाएगा। जब हमारी तवज्जा बाहर के आदमी की जगह अंदर के आदमी पर मर्कूज़ हो जाएगी, जब अमन होगा। इत्मिनान का दौर दौरा होगा।
मोटर साईकल वाले ने तंज़ भरा क़हक़हा मारा।
जैकेट वाले ने चिल्ला कर कहा, ज़ईफ़-उल-एतक़ादी नहीं, ख़ुश फ़हमी है ये।
अच्छा। माँ बोली, कैसा गोल्डन एज होगा वो?
निशात-ए-सानिया। चुग्गे वाला चिल्ला कर बोला।
निशात-ए-सानिया। हाल की दीवारें गूँजने लगीं।
दुनिया पर मुबारक तरीन सितारों का इकट्ठ हो रहा है। ऐसा इकट्ठ जो कभी आज तक नहीं हुआ था।
चुग्गे वाला बोला।
इसके असरात 1980 के लगभग ज़हूर में आएँगे।
टोकरा बालों वाली ने मुँह में उंगली डाल ली, सच?
साड़ी वाली ने सीना सँभाला।
ख़ामोश लटके बालों वाली चिल्लाई, वो देखो... वो। उसने उंगली से बाहर की तरफ़ इशारा किया। सब उंगली की सीध में पोर्टिको की तरफ़ देखने लगे।
क्या हुआ? दूर से पोलका बुक्स के क़रीब खड़ी पतलून वाली ने पूछा।
क्या बात है?
पता नहीं।
कौन है?
दूर खड़ी पुतलियां सरगोशियाँ करने लगीं।
मोटरसाईकल वाले ने अपना साइलेंसर फिट कर के कहा, वो आ रहे हैं, ख़ामोश। उसने दूर खड़े पतलून वाले को ख़बरदार किया, वो आ रहे हैं, इधर आ रहे हैं।
हाँ हाँ। लटके बालों वाला बोला, इंतिज़ामिया के लोग आ रहे हैं।
बिल्कुल। साड़ी वाली ने कहा, वो ज़रूर अंदर आएँगे।
जैकेट वाले ने अपनी ऐनक साफ़ की। उसे फिर से लगाया और फिर तहक्कुमाना लहजे में बोला, सब अपने अपने मुक़ाम पर अपना मख़सूस पोज़ बना कर खड़े हो जाओ। यक़ीनन कोई इमरजेंसी है। मोटर साईकल वाला बोला, वर्ना इस वक़्त नाज़िम का यहां आना...
सारे पुतले अपनी अपनी जगह खड़े होने के लिए दौड़े।
गैलरी में खड़े पुतले कोनों में जा कर ढेर हो गए।
हाल पर सन्नाटा तारी हो गया।
आर्केड का सदर दरवाज़ा खुला। नाज़िम अंदर दाख़िल हुआ। उसके पीछे नायब था। नायब के पीछे दस बारह कारीगर थे। उन्होंने पेंट के बड़े बड़े डिब्बे और ब्रश उठाए हुए थे।
नाज़िम कुर्सी पर बैठ गया। नायब और कारीगर उसके सामने खड़े हो गए, देखो, इस वक़्त तीन बजे हैं। नाज़िम ने घड़ी की तरफ़ देखकर कहा, हमारे पास सिर्फ़ छः घंटे हैं। हुकूमत के मुअज़्ज़िज़ मेहमान जो दुनियाए इस्लाम के बहुत बड़े सरबराह हैं, ठीक साढे़ नौ बजे आर्केड देखने के लिए आ रहे हैं। उनके आने से आध घंटा पहले सारा काम मुकम्मल हो जाना चाहिए, समझे। नाज़िम ने नायब से मुख़ातिब हो कर कहा।
यस सर। नायब ने जवाब दिया, इट शैल बी डन।
हूँ! नाज़िम ने कहा, हमारे प्राइम मिनिस्टर का कहना है कि मुअज़्ज़िज़ मेहमान तवक़्क़ो रखते हैं कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा शॉपिंग सेंटर पाकिस्तानी रंग में रंगा होगा और पाकिस्तानी ज़िंदगी, दस्तकारी और फ़न का मज़हर होगा। मैं चाहता हूँ कि आर्केड की हर तफ़सील पाकिस्तानी हो, समझे।
आप फ़िक्र न करें सर। नायब ने कहा।
फिर वो कारीगरों से मुख़ातिब हुआ, देखो भई इतने थोड़े वक़्त में, इतने शॉर्ट नोटिस पर हम नया सामान मुहय्या नहीं कर सकते। इसलिए इसी सामान को रंग-ओ-रोग़न कर के गुज़ारा करना होगा।
जी साहिब। कारीगरों ने जवाब दिया।
अगले रोज़ साढे़ नौ बजे जब मुअज़्ज़िज़ मेहमान आर्केड में दाख़िल हुए तो सदर दरवाज़े के ऊपर फ़ैशन आर्केड की जगह पाकिस्तान आर्केड का बोर्ड लगा हुआ था। अंदर दरवाज़े के ऐन सामने अचकन वाला बड़े तुमतराक़ से खड़ा था। उसके पास ही दाएं तरफ़ रूमी टोपी वाला अपना फुँदना झूला रहा था। बाएं हाथ तुर्रा बाज़ मूंछ को ताव दे रहा था। क़रीब ही बच्चे को उंगली लगाए चादर में लिपटी हुई ख़ातून बच्चे की तरफ़ देख देखकर मुस्कुरा रही थी। उसके परे कुरते पाजामे वाला छाती फुलाए ईस्तादा था।
साड़ी वाली लंबा चुग़ा लटकाए निगाहें झुकाए लजा रही थी।
सी थ्रो छींट का घघरा पहने सर पर पानी की गागर रखे क़दम उठाए खड़ी थी।
स्कर्ट वाली चुस्त पाजामा पहने बाज़ू पर जदीद लंबा कोट उठाए मुस्कुरा रही थी।
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