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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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वाली आसी

1939 - 2002 | लखनऊ, भारत

वाली आसी

ग़ज़ल 25

अशआर 23

उन्हें भी जीने के कुछ तजरबे हुए होंगे

जो कह रहे हैं कि मर जाना चाहते हैं हम

ग़म के रिश्तों को कभी तोड़ देना 'वाली'

ग़म ख़याल-ए-दिल-ए-ना-शाद बहुत करता है

दरिया दिखाई देता है हर एक रेग-ज़ार

शायद कि इन दिनों मुझे शिद्दत की प्यास है

सब बिछड़े साथी मिल जाएँ मुरझाएँ चेहरे खिल जाएँ

सब चाक दिलों के सिल जाएँ कोई ऐसा काम करो 'वाली'

हम हार गए तुम जीत गए हम ने खोया तुम ने पाया

इन छोटी छोटी बातों का हम कोई ख़याल नहीं करते

पुस्तकें 12

चित्र शायरी 4

 

वीडियो 7

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Mere Fasane Ko Yun Lazawal

वाली आसी

Musalla Rakhte HaiN

वाली आसी

फिर वही रेग-ए-बयाबाँ का है मंज़र और हम

वाली आसी

हम अपने-आप पे भी ज़ाहिर कभी दिल का हाल नहीं करते

वाली आसी

ऑडियो 7

इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना

क्या हिज्र में जी निढाल करना

फिर वही रेग-ए-बयाबाँ का है मंज़र और हम

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