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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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तुराब काकोरवी

1768 - 1858

तुराब काकोरवी

अशआर 3

शहर में अपने ये लैला ने मुनादी कर दी

कोई पत्थर से मारे मिरे दीवाने को

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हदफ़ जिस का फ़क़त दिल हो मैं ऐसे तीर के क़ुर्बां

बदन जिस से घाएल हो मैं उस शमशीर के क़ुर्बां

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उड़ के आया है लगन में तिरे जल जाने को

शौक़ से फूँक दे शम्अ तू परवाने को

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पुस्तकें 2

 

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