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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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तौक़ीर अहमद

ग़ज़ल 6

नज़्म 1

 

अशआर 7

ज़बाँ ख़ामोश मगर नज़रों में उजाला देखा

उस का इज़हार-ए-मोहब्बत भी निराला देखा

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यूँ अचानक ज़ुल्फ़ें बिखेरा करो

दिल तो नादान है बहक भी सकता है

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आज की रात मुझे होश में रहने दो अभी

आज की रात कोई आँखों से पिलाएगा मुझे

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ज़रा सँभलूँ भी तो वो आँखों से पिला देता है

मेरा महबूब मुझे होश में रहने नहीं देता

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इस क़दर टूट कर मेरी नज़रों में देखो वर्ना

तुम्हारी नज़रों को मेरी नज़रों की नज़र लग जाए

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