संपूर्ण
परिचय
ई-पुस्तक167
लेख1
तंज़-ओ-मज़ाह17
शेर3
ग़ज़ल14
नज़्म2
क़िस्सा7
वीडियो3
गेलरी 1
हास्य शायरी1
नअत1
शौकत थानवी के शेर
धोका था निगाहों का मगर ख़ूब था धोका
मुझ को तिरी नज़रों में मोहब्बत नज़र आई
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हमेशा ग़ैर की इज़्ज़त तिरी महफ़िल में होती है
तिरे कूचे में जा कर हम ज़लील-ओ-ख़्वार होते हैं
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इन ही का नाम मोहब्बत इन ही का नाम जुनूँ
मिरी निगाह के धोके तिरी नज़र के फ़रेब
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