aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1924 - 1995 | जौनपुर, भारत
शायर,पत्रकार और गीतकार। ग़ुलाम बेगम बादशाह और झाँसी की रानी जैसी फ़िल्मों के संवाद लेखक
उस की हँसी तुम क्या समझो
वो जो पहरों रोया है
उन की निगाह-ए-नाज़ की गर्दिश के साथ साथ
महसूस ये हुआ कि ज़माना बदल गया
ऐ इंक़लाब-ए-नौ तिरी रफ़्तार देख कर
ख़ुद हम भी सोचते हैं कि अब तक कहाँ रहे
शरीक-ए-दर्द नहीं जब कोई तो ऐ 'शौकत'
ख़ुद अपनी ज़ात की बेचारगी ग़नीमत है
अपने पराए थक गए कह कर हर कोशिश बेकार रही
वक़्त की बात समझ में आई वक़्त ही के समझाने से
Mazameen-e-Shaukat
2015
Mizrab-e-Sukhan
2012
Nazmen,Geet Aur Tahniti Naghmat
Saz-e-Naghma Bar
Saz-e-Naghmabaaar
Tohfa-e-Atfal
2011
Bachon Ki Nazmein
रात तारों से जब सँवरती है इक नई ज़िंदगी उभरती है मौज-ए-ग़म से न हो कोई मायूस ज़िंदगी डूब कर उभरती है आज दिल में फिर आरज़ू-ए-दीद वक़्त का इंतिज़ार करती है दिल जले या दिया जले 'शौकत' रात अफ़्साना कह गुज़रती है
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