aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1949 | मध्य प्रदेश, भारत
भारतीय संगीत के विद्वान और संगीतकार।
और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है लेकिन
मेरी चादर मिरे पैरों के बराबर कर दे
पहले तो छीन ली मिरी आँखों की रौशनी
फिर आईने के सामने लाया गया मुझे
शजर ने लहलहा कर और हवा ने चूम कर मुझ को
तिरी आमद के अफ़्साने सुनाए झूम कर मुझ को
वही सफ़्फ़ाक हवाओं का सदफ़ बनते हैं
जिन दरख़्तों का निकलता हुआ क़द होता है
तुझ को देखा नहीं महसूस किया है मैं ने
आ किसी दिन मिरे एहसास को पैकर कर दे
जीवन जीना कठिन है विष पीना आसान
इंसाँ बन कर देख लो ओ 'शंकर' भगवान
हर इक शय बे-मेल थी कैसे बनती बात
आँखों से सपने बड़े नींद से लम्बी रात
ज़ेहन में तू आँखों में तू दिल में तिरा वजूद
मेरा तो बस नाम है हर जा तू मौजूद
काग़ज़ पर लिख दीजिए अपने सारे भेद
दिल में रहे तो आँच से हो जाएँगे छेद
आँगन है जल-थल बहुत दीवारों पर घास
घर के अंदर भी मिला 'शाहिद' को बनवास
Dohe Alamgeer
2011
Haft Rang
1981
Hindustani Mauseeqi
Mosam Zard Gulabon Ka
1984
Reg-e-Rawan
2008
साज़ीना
2001
Intisab
Shumara Number-081
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