साक़ी अमरोहवी
ग़ज़ल 6
अशआर 8
तू नहीं तो तिरा ख़याल सही
कोई तो हम-ख़याल है मेरा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मदरसा मेरा मेरी ज़ात में है
ख़ुद मोअल्लिम हूँ ख़ुद किताब हूँ मैं
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ज़िंदगी भर मुझे इस बात की हसरत ही रही
दिन गुज़ारूँ तो कोई रात सुहानी आए
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
दर-ब-दर होने से पहले कभी सोचा भी न था
घर मुझे रास न आया तो किधर जाऊँगा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
मुझ को क्या क्या न दुख मिले 'साक़ी'
मेरे अपनों की मेहरबानी से
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वीडियो 25
This video is playing from YouTube