सहबा अख़्तर
ग़ज़ल 31
नज़्म 4
अशआर 11
अगर शुऊर न हो तो बहिश्त है दुनिया
बड़े अज़ाब में गुज़री है आगही के साथ
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मेरे सुख़न की दाद भी उस को ही दीजिए
वो जिस की आरज़ू मुझे शाएर बना गई
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तुम ने कहा था चुप रहना सो चुप ने भी क्या काम किया
चुप रहने की आदत ने कुछ और हमें बदनाम किया
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वीडियो 4
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