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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

रहमान फ़ारिस

ग़ज़ल 16

नज़्म 8

अशआर 7

कहानी ख़त्म हुई और ऐसी ख़त्म हुई

कि लोग रोने लगे तालियाँ बजाते हुए

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शजर ने पूछा कि तुझ में ये किस की ख़ुशबू है

हवा-ए-शाम-ए-अलम ने कहा उदासी की

तेरे बिन घड़ियाँ गिनी हैं रात दिन

नौ बरस ग्यारह महीने सात दिन

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वो पहले सिर्फ़ मिरी आँख में समाया था

फिर एक रोज़ रगों तक उतर गया मुझ में

मुझ को ख़ुद में जगह नहीं मिलती

तू है मौजूद इस क़दर मुझ में

पुस्तकें 1

 

वीडियो 11

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

रहमान फ़ारिस

Baithe hain chain se kahin jana to hai nahi

रहमान फ़ारिस

Chand aa betha hai pehlu mein, sitaro takhliya

रहमान फ़ारिस

Ishq saccha hai to kyun darte jhijhakte jaanve

रहमान फ़ारिस

Khaak udtii hai raat bhar mujh mein

रहमान फ़ारिस

Rehman Faris - Reciting at Jashn-e-Abbas Tabish

रहमान फ़ारिस

Rehman Faris poetry on Iqbal

रहमान फ़ारिस

Sadaayen dete huye khaak udaate huye

रहमान फ़ारिस

रहमान फ़ारिस

ख़ाक उड़ती है रात-भर मुझ में

रहमान फ़ारिस

सदाएँ देते हुए और ख़ाक उड़ाते हुए

रहमान फ़ारिस

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