aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1832/3 - 1880
ज़ुलेख़ा बे-ख़िरद आवारा लैला बद-मज़ा शीरीं
सभी मजबूर हैं दिल से मोहब्बत आ ही जाती है
तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सही
तू नहीं और सही और नहीं और सही
तुझ से ऐ ज़िंदगी घबरा ही चले थे हम तो
पर तशफ़्फ़ी है कि इक दुश्मन-ए-जाँ रखते हैं
हो मोहब्बत की ख़बर कुछ तो ख़बर फिर क्यूँ हो
ये भी इक बे-ख़बरी है कि ख़बर रखते हैं
मूसा के सर पे पाँव है अहल-ए-निगाह का
उस की गली में ख़ाक उड़ी कोह-ए-तूर की
दीवान-ए-क़लक़
1883
Gulistan-e-Nazuk Khayal
Qalaq Merathi Ki Urdu Kulliyat
Gulistan-e-Nazuk Khayali
Kulliyat Urdu-e-Qalq
Jawahir-e-Manzoom
1867
कुल्लियात-ए-क़लक़
1966
Kulliyat-e-Urdu-e-Qalaq
1847
Nazm-e-Jadeed Ki Taslees
2005
Qalaq Merathi Hayaat Aur Karnaame
1992
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