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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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P P Srivastava Rind's Photo'

पी पी श्रीवास्तव रिंद

1950 | नोएडा, भारत

पी पी श्रीवास्तव रिंद

ग़ज़ल 20

अशआर 9

माना कि ज़लज़ला था यहाँ कम बहुत ही कम

बस्ती में बच गए थे मकाँ कम बहुत ही कम

आस्तीनों में छुपा कर साँप भी लाए थे लोग

शहर की इस भीड़ में कुछ लोग बाज़ीगर भी थे

कोई दस्तक कोई आहट थी

मुद्दतों वहम के शिकार थे हम

आसूदगी ने थपकियाँ दे कर सुला दिया

घर की ज़रूरतों ने जगाया तो डर लगा

ख़्वाहिशों की आँच में तपते बदन की लज़्ज़तें हैं

और वहशी रात है गुमराहियाँ सर पर उठाए

पुस्तकें 13

वीडियो 7

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Chand ki Qandeel jalte hi ujala ho gaya hai

PP Srivastav Rind is one of the noted poets of the modern times. More than ten poetry collection have been published so far. He can be seen reciting his verses at Rekhta Studio. पी पी श्रीवास्तव रिंद

पी पी श्रीवास्तव रिंद

अंधेरे ढूँडने निकले खंडर क्यूँ

पी पी श्रीवास्तव रिंद

नशात-ए-दर्द के मौसम में गर नमी कम है

पी पी श्रीवास्तव रिंद

पेश-ए-मंज़र जो तमाशे थे पस-ए-मंज़र भी थे

पी पी श्रीवास्तव रिंद

बे-तअल्लुक़ रूह का जब जिस्म से रिश्ता हुआ

पी पी श्रीवास्तव रिंद

ममता-भरी निगाह ने रोका तो डर लगा

पी पी श्रीवास्तव रिंद

ऑडियो 10

अंधेरे ढूँडने निकले खंडर क्यूँ

अंधेरे बंद कमरों में पड़े थे

नशात-ए-दर्द के मौसम में गर नमी कम है

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