नज़्म तबातबाई
ग़ज़ल 26
नज़्म 5
अशआर 20
बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की
सुना है रूह को आना है फिर बदन की तरफ़
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
उड़ाई ख़ाक जिस सहरा में तेरे वास्ते मैं ने
थका-माँदा मिला इन मंज़िलों में आसमाँ मुझ को
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बनाया तोड़ के आईना आईना-ख़ाना
न देखी राह जो ख़ल्वत से अंजुमन की तरफ़
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए